अतुलनीय, शांत और अनमोल!
कुछ लिखा हैं, पसंद आए तो लाइक, कमेंट और चमकाना ना भूलिएगा!😀
एक लेखक के तौर पर, तो आप सब भली भांति परिचित ही हैं। जिस शहर से आतीं हैं, वहां की गली गली में शायरी हैं, ग़ज़लें हैं और नगमें भी हैं।उर्दू की तहज़ीब और रूहानियत आपको देखने को मिलती हैं। वही सब कुछ आप इनकी लेखनी में बड़े ही आसानी से वहां बिना गए पा रहें हैं। ये बात और हैं, इस लेख के बाद और पायेंगे।☺️
एक पाठक के रूप में, चाहें वो नया हो या पुराना, कोई भेदभाव नहीं करतीं हैं। ऐसा लगता हैं, संविधान का अनुच्छेद 14 सभी पर लागू करती हैं।
हर कला की तारीफ़ और उसकी कदर आप जिस अंदाज में करती हैं,वो बेनजीर हैं।
"मदीहा हैं, अयाज भी हैं और हैं फरीदा,
अब सोचिए, कितना कुछ इन्होंने हैं सहेजा,
हमारा नाम, हमारी जिम्मेदारी होती हैं,
और ये बखूबी निभाती हैं।
सारे सवाल का ज़वाब हैं,
नर्सरी से लेकर डॉक्टरेट,
जिंदगी के हर पड़ाव का हिसाब।
परिपक्वता और विनोदरस बेहिसाब।
हर भाषा, हर तहज़ीब को इन्होंने निभाया हैं,
हम सब तो लिखते हैं,
आप ने जिया और हमें भी जियाया हैं।
कितना कुछ लेकर चलती हैं,
हां, कभी–2 थकती हैं, पर रुकती नहीं हैं।
प्रेम लेखन का श्रेय मैं आपको देता हूं,
हां, तभी तो मैं आपको महामहिम कहता हूं।"-
1 OCT 2021 AT 21:33
29 AUG 2022 AT 9:45
नर्सरी के बच्चे को अगर
कॉलेज का लेक्चर समझ न आए
तो इसमें दोनों की ही गलती नहीं है-
15 FEB 2019 AT 9:16
एक आजाद परिंदा
बहक से जाते हो तुम इश्क में, बार बार गलती कर देते हो
तुम इश्क करते हो या नर्सरी में पढ़ते हो ?-