QUOTES ON #नज़रियामेरेदिलका

#नज़रियामेरेदिलका quotes

Trending | Latest

तन की सुंदरता क्षणिक है
साँसों का खेला है क्षणिक
जीवन क्षणभंगुर है यारों
फिर है गर्व किस बात का

-



तुम चांद गगन के!
मैं अमावस वाली रात हूं!!

अनुशीर्षक मे पढ़े

-



आओ मिलकर साथ निभाएं
जीवन नैय्या को पार लगाएं
सुख दुःख की भँवर मे उलझी
गृहस्थी की नैय्या पार लगाएं

-


23 MAY 2021 AT 15:18

वो तो उनका नज़रिया था साहब
वरना इंसान तो हम भी ख़ास ना थे

-



तुम समझते नहीं हालात मेरे नादां दिल के,
हम वक़्त की आँधी के सताए हुए हैं।

मिला जो आसरा हमें ज़रा सी रौशनी से,
ऐसी रौशन शमां के हम सताए हुए हैं।

खेलकर दिल से मेरे जो हमें ठुकरा गए,
ऐसे मोहब्बत के आशिक के हम सताए हुए हैं।

-



सागर से मीलों दूर किनारा बहती बीच में ज्यों जलधारा!
दूरियां मीलों की हों दरमियान तुमसे प्यार होगा न कम!!

ऐसे ही तकदीर हमारी बीच में वक्त का बहता पानी!
तकदीर दिखा दे कितने खेल तुमसे प्यार होगा न कम!!

टूटे दिल के हर टुकड़े में दिखता तेरा चेहरा प्यारा!
कर ले तू चाहे मुझसे किनारा तुमसे प्यार होगा न कम!!

आसमान में ज्यों ध्रुव तारा ऐसा तू दिलदार हमारा!
दिल की धड़कन है तुमसे, तुमसे प्यार होगा न कम!!

-



गंगाजल सा पावन है होता दिल और दर्द का रिश्ता
मनोभावों का प्रतिबिम्ब है होता दिल और दर्द का रिश्ता
मासूम बच्चे की किलकारी सा दिल और दर्द का रिश्ता
जल मे शीतलता सा निहित है दिल और दर्द का रिश्ता
अग्नि में गर्माहट जैसा है दिल और दर्द का रिश्ता
आंखों की किरकिराहट सा है दिल और दर्द का रिश्ता
ज़ख्मी हो तन तो रिस्ता है दिल और दर्द का रिश्ता
आहत हो भावना तो टीसता है दिल और दर्द का रिश्ता
किसी भी रिश्ते से गहरा होता है दिल और दर्द का रिश्ता
अपनों के सम्मुख निश्छल रोता है दिल और दर्द का रिश्ता

-



ओढ़कर तेरी यादों का लिहाफ, हमने सोने की कोशिश की!
न जाने कैसी तड़प, हर लम्हा महसूस की!
करवटें बदल बदल, गुजरती रही रात!
हर करवट मे मैने,कमी तेरी महसूस की!
भीगने लगा जब तकिया,मेरा आँसुओं से!
सिरहाने तेरी बाँहो की,कमी महसूस की!
चाँद संग चाँदनी को,झूमते देखा जब!
मेरे दिल ने उस पल तेरी पनाहों की,कमी महसूस की!
नहीं गुजरी जब रात, मेरी तन्हाई मे!
लम्हा लम्हा ज़िंदगी मे अपनी, तेरी कमी महसूस की!

-



हो अगर दिल मे प्यार!
पल भर मे बयां हो जाता है!!

शब्दों के तीर कमान नहीं!
नैनों से बयां हो जाता है!!

-



सहमे हुए मकान की दर ओ दीवार
आज भी उस खौफनाक
किस्से पर रोई जाती हैं
कल ही की हो बात जैसे
चीत्कार यूं मचाती है

गर्मियों की शाम थी
सड़कें भी गुलज़ार थी
चंद कदमों पर ही
पान की ही वो दुकान थी

बूढ़ी नानी सड़क किनारे
घर पर अकेली दुर्घटना से अनजान थी
फांदकर दीवार कोई अधेड़
दाखिल घर के भीतर हुआ

लूट पीटकर गहनों की बात पूछता रहा
बता कहां रखा है जेवर तुम्हारी बेटी ने
ताबड़तोड़ वार वो लोहे की रॉड से करता रहा
छीना कुंडल और खून सिर से रिसता रहा

लौटे जब बच्चों संग बिटिया दामाद घर को
देखकर भीतर का मंजर हदयाघात रोता रहा
नन्ही सी छुटकी रक्तरंजित दीवार देखकर
ग़मज़दा इतनी हुई

कुछ दिनों की खातिर पड़ोसी घर दुबकी रही
बरसों बरस बाद भी जब उस मकान को देखती है
सिहर उठती है रुह तक उसकी
आत्मा चीत्कार करती है

कुछ किस्से हकीकत मे इतना डराते हैं
ताउम्र उसकी पीड़ा को हम भूल नही पाते हैं
ऐसा ही झेलकर बहुत कुछ विद्रोही मन होता है
बंजर भूमि सा इसमे प्रेम पुष्प नहीं खिलता है

-