रोज रातों को जिन सफेद पहाड़ों के ख्वाब देखते हो ना ,
वहां घर है मेरा
जिन ऊंचाइयों को देख तुम्हारी सांसे रुक जाती है ना ,
वहां घर है मेरा
दोस्तों संग जिन पहाड़ों पे बाइक राइडिंग का प्लान बनाते हो ना ,
वहां घर है मेरा
अपने लैपटॉप पे जिन बुग्याल की डीपी तुम लगाते हो ना ,
वहां घर है मेरा ।
मायावी शहर को छोड़ वीकेंड पे जिन पहाड़ों पे आते हो ना,
वहां घर है मेरा
जीते जी पांडव जिन पहाड़ी सीढ़ियों से होकर स्वर्ग जाते हैं ना ,
वहां घर है मेरा ।
हर गांव में जहां देवी देवताओं का निवास है ना ,
वहां घर है मेरा
एक बार बद्री केदार, गंगोत्री यमनोत्री के दर्शन को सभी जाते हैं जहां,
वहां घर है मेरा ।-
देवभूमि उत्तराखंड:
जहाँ प्रकृति की सुंदरता और देवताओं की कृपा एक साथ मिलती है।-
चलो जरा हम भी तो देखे हमारी post कौन कौन सी state से पढ़ी जा रही है... 😂
Uttarakhnd the heaven💚✨️✌️-
गौरवशाली अतिप्राचीन संस्कृति, पाए जग अभिनन्दन
देवों ,ऋषियों ,संतो ,वीरों की जननी को शत शत वंदन
वेदों उपनिषदों की भूमि ,वसुधैव कुटुम्बकम की द्योतक
सौभाग्यशाली जन्मे तुझमें, हे मातृभूमि! तेरी रज चंदन-
आज हुई बात है
जो कि बड़ी खास है
बेटी हम बनाए हैं
चुरा के इहा लाये हैं
मैं क्या बोलूं ❣️-
घमंड नहीं किया कभी, जबकि स्वर्ग मे अपना ठिकाना है...
पहाड़ी लोग है साहब! बादलो के ऊपर तो अपना आना जाना है!🥀✨️-
" देवभूमि - भारत "
गूँजते हैं शब्द शौर्य के, हवाओं में, पग पग पर है वीरों की गाथाएं।
शहादत से सराबोर, हर घर में है देशप्रेम की कथाएँ।
हर धर्म का मान रखकर,की है उन्नति जग में।
शांति, अमन, सौहार्द्र की, मिशाल पेश की हर युग में। ।
विश्व गुरु बनकर, था सबको मार्ग दिखाया,
उच्च नैतिक आदर्श से, मानवता का अर्थ समझाया।
कर्मठ है हर व्यक्ति यहां, परिवार हेतु जीवन समर्पित किया।
समाज की मुख्यधारा से जुड़, देश के विकास में सहयोग दिया।
बुजुर्गों ने सहेजी है, संस्कारों की धरोहर, युवाओं ने प्रगति का आह्वान किया।
महिलाओं ने शक्ति बनकर साहस का पर्याय दिया।
भूमि है यह, महापुरुषों के रक्त से रंजीत,
इसकी वतनपरस्त सोंधी खुशबु, समूचे जग में है विसरीत।
विविधता के रंग लिए है एकता का भाव,
देशहित के हर निर्णय में सदा दिखता है सद्भाव
हे! भारती के सपूतों, मेरा है आह्वान तुम्हें,
अनभिज्ञ हो तुम देवत्व से, मेरी है पुकार तुम्हें,
अपनी देवभूमि के महत्व को तुम पहचानों,
आधुनिकता के दौर में ना इसकी महत्ता को नकारों।
स्वार्थ को त्याग, अपना सर्वस्व अर्पण कर दो,
इस देव धरा के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दो।-
पहेलिकाव्य
🍁प्रशस्ति-पत्र🍁
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बिनु द्युति तारक मद्धिम दीप, बिन मोती क्या सीप
बिन गुण मानव देह समाना, ज्वलित दीप संदीप
ज्ञान प्रकाश देवभूमि तुम, भावी भारत उज्ज्वल
उत्तम दृष्टिकोण संस्कारित, बिखरो प्रति पल प्रज्ज्वल
रहो अग्रसर डिगो न पथ से, पूरी हो हर आस
संदीपनी गुरु के जैसे लिखो सदा उजास
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