संवेदना के अम्बर की उतरन
संपूर्ण सजगता के साथ
खुद में करेगी छिद्र अनेकों।
और
उन मार्मिक सुराखों से
छन कर सदा आती रहेगी
सविता की किरण।
उस टिमटिमाहट स्वरूप को
तुम देखना।
देखना तुम कि एकदिन
वो झुका सकने में सक्षम होगी..
भूधरों के घरों तक को...और पुनः
जीवित कर देगी हर अधमरा-प्रताप।-
वो "तम" था,
भयभीत हो भाग गया!
मैं "दीप्ति" जब
प्रकाशित हुई.....!!-
"जिन दुआओं की वजह से
है सलामत ये वजूद।
भूलना उन ख़ैरख्वाहों को
कभी मुमकिन नहीं।।"
-
बेसहारों का सहारा आप गर बन जाओगे
आसरा देकर उन्हें यूँ प्यार से अपनाओगे
इस भलाई का सिला देगा तुम्हें परमात्मा
धन दुआओं का कमा कर चैन जी का पाओगे
-
सुहानी साँझ में वो अनसुनी खामोशियाँ और उस पर यादों का शोर, अतीत के पन्ने ना पलटे तो कोई क्या करे।
सुरमई संध्या में, बीते लम्हों की याद में कुछ देर सुस्ताने के बाद, ज़िंदगी हक़ीक़त की खाई में धकेले तो कोई क्या करे।
सिंदूरी शाम की आग़ोश में, आँखों में समेटे माँझी के लम्हात को, खुशनुमा सहर की तलाश में रफ्ता रफ्ता स्याह रात में औझल न करे तो कोई क्या करे।-
तेरा मिलना भी ,क्या सितम हुआ..
नींद उड़ गई......चैन गुम हुआ!
ख़्वाब दिन में दिखे,होश कम हुआ,
गज़ब उस पे, दीदार-ए-सनम हुआ
-
योग मतलब जोड़ना है जोड़ लो ईश्वर से खुद को
झाँक कर अब स्वयं में ही जान लो भीतर से खुद को
लोभ छोड़ो द्वेष त्यागो मोह के बाँधो न बंधन
शुद्ध भावों से बचा लो पाप के चक्कर से खुद को
-
जला के दिल वो तापें हाथ तो दिल क्यों बुरा माने
ख़ुशी उनको मिली ये बात क्या कुछ कम ख़ुशी की है-