બનાવો જિંદગી પતંગ જેવી
જે હવા ના ઝોકા સાથે મસ્તીમાં ઝૂમતી
ના બનાવો ફીરકી ની દોરી જેવી
જે ગળે મળીને ગળા કાપે એવી-
જ્યાં હું મુક્તપણે જે અને જેવું મનમાં જે એ સીધે સીધું કહી શકું . . . ભીની આંખો મારી જ્યાં મન મૂકી ને રડી શકે . . . ટૂંકમાં કહું તો જ્યાં હું જેવી છું એવી બની ને રહી શકું . . . એવો તારા અને મારા વચ્ચે નો મજબૂત બંધ જોઈએ છે . . .
હા, મને આપણાં વચ્ચેનાં અકબંધ સંબંધ ની ભેટ જોઈએ છે.-
तो बताएंगे ज़रूर
जज़्बात को अपने जताएंगे ज़रूर
पर फ़िर सोचते है कि,
तुम्हारा प्रतिभाव कैसे होगा,
तुम ठहाका लगा के हँस दोगे या
या बात बदल दोगे,
तुम चुप्पी साध लो गे, या बिना कुछ
कहे, बिना कुछ रियेक्ट किए
धीरे धीरे मुझसे दूरियाँ बना लो गे
और यही सोच के मन डर सा जाता है
फ़िर तुम कभी मिलोगे तो
हम सिर्फ ऐसे ही मिलेंगे तुमसे
जैसे सालों से मिलते आए है
एक अच्छे दोस्त बनके....-
. . .
आज का वर्तमान
कल की कहानी है
उदास चेहरा बोझल आँखें
चलता रहता है जीवन
यही जिंदगी की रवानी है
हम सब किताबें है
और हर नए पन्ने पर
एक नए जंग जारी है-
याद उसे भी वो अधूरा किस्सा होगा
याद उसे भी वो अधूरा अफ़साना होगा
मीठी बातों के चक्रव्यूह में कैसे फँसाया था
याद उसे भी तो आता वो फसाना होगा
जिस तरह से गया था वो मुँह मोड़ के
यक़ीक़न ही वो कोई बेगाना होगा
शमा की अगन में शमा सा जलता रहा
ये दिल भी बेवकूफ कोई परवाना होगा
दुआ है उसको भी कोई उस जैसा मिले
इस दफा रब को भी आज़माना होगा ।-
याद उसे भी वो अधूरा किस्सा होगा
याद उसे भी वो अधूरा अफ़साना होगा
मीठी बातों के चक्रव्यूह में कैसे फँसाया था
याद उसे भी तो आता वो फसाना होगा
जिस तरह से गया था वो मुँह मोड़ के
यक़ीक़न ही वो कोई बेगाना होगा
शमा की अगन में शमा सा जलता रहा
ये दिल भी बेवकूफ कोई परवाना होगा
दुआ है उसको भी कोई उस जैसा मिले
इस दफा रब को भी आज़माना होगा ।
©दीप्ति...✍️-
दिल में आशा के फूल खिलते रहेंगें तो जीवन बगियाँ में उम्मीदों की चहचाहट लगी रहेंगी और ये सपनों की फुलवारी कब हक़ीक़त का गुलदस्ता बन आपके घर तक आ जायेगी पता भी नहीं चलेगा ... इसलिए आशाओं के फूल खिलाते रहिए और उस राह पर आत्मविश्वास के साथ सफर करते रहिए।
-
रास्तों की ठोकरों से डरा नहीं करते
राह अगर भटक भी जाए, पर
लक्ष्य सेअपने भटका नहीं करते
मार्ग में आए चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ
खतरों ऐसे घभरया नहीं करते
जानते है वो अपने आत्मविश्वास को
पहचानते है अपने रब के आशीर्वाद को
मुश्किलें कितनी भी तकलीफदेह क्यों न हो
थान लिया हो जिसने वो तकलीफों से हिला नहीँ करते-
रास्तों की ठोकरों से डरा नहीं करते
राह अगर भटक भी जाए, पर
लक्ष्य सेअपने भटका नहीं करते
मार्ग में आए चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ
खतरों ऐसे घभरया नहीं करते
जानते है वो अपने आत्मविश्वास को
पहचानते है अपने रब के आशीर्वाद को
मुश्किलें कितनी भी तकलीफदेह क्यों न हो
थान लिया हो जिसने वो तकलीफों से हिला नहीँ करते-
माना ... की
पर इतना भी ना सोचे की
सोचते सोचते सोच गहरी
होती जाए
और फैसलें कमज़ोर होने लगे।-