तुम क्या जानो
झूठे रिश्ते को शिद्दत से निभाते कैसे है..-
सभी एक दूसरे से परेशान है
इस बात से सब हैरान है
पास रहकर भी ना कोई पहचान है
इंसान के रूप में सब हैवान है
चेहरे के पीछे कितने चेहरे है
सब इस बात से अनजान है.....-
कौन रोएगा मेरे मरने के बाद..
जीते जी तो कोई कद्र नहीं करता..!
कौन कहेगा मेरे मरने के बाद मुझे अपना..
जिंदा है तब तो कोई अपना नहीं समझता..!
कौन पोंछेगा मेरे अपनों के आँसू मेरे ना होने पर..
मेरे होने पर भी उनकी कोई खैरियत नहीं पूछता..!
क्यूँ बनाए है ये रिश्तें-नाते गर कोई काम नहि आता..
अपनी मर्जी के रिश्तें होते तो एक दोस्त ज़रूर काम आता..!
मतलब की दुनिया और रिश्तें है इस जहान में..
मतलब होने पर ही याद किसी को है करता..!-
कुछ लोग अब हमसे यू ही नजरे चुराने लगे है,
हाँ हम भी अब उनसे अपना हाथ छुड़ाने लगे है,
नाममात्र के रिश्तों से हम अपना नाम मिटाने लगे है,
नहीं जुड़ना किसी से इसलिए यहा कम आने लगे है,
जो सामने मीठे और पीठ पीछे है दोगले रूप लिए,
अब हम उनसे अपनी ओर से थोड़ी दूरी बनाने लगे है,
चालाक नहीं है दो मीठे बोल पर पिघलने वाले हम,
अब हम थोड़ा अपने दिल को पत्थर बनाने लगे है,
यहाँ केवल दिखावा मात्रा करने वाले रिश्तों को हम,
सुनो "ईशा" इन्हें अपनी नजरो से हम गिराने लगे है।
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दुश्मनी चूहे और बिल्ली भी बड़े सिददत से कर लेते हैं
लेकिन कोई इंसान हो कर भी मोहब्बत बड़े सिददत से कर के दिखा दे-
2019..life
साल का आखरी दिन था,
पर उसकी नज़रें नहीं झुकीं,
वो जिंदा लाश मुझे बनाकर
बेहया सी, मुझपर खड़ी रही...-
"भूल जाऊँ सारे जहाँ को, बस गंगाजल से अनुराग हो जाए..
निस्वार्थ भाव मन में हो मोह का पूर्णतया त्याग हो जाए..
कोई लगाव नहीं झूठे रिश्तों से ना ही इस जिंदगी से..
बीत जाए जीवन जैसे तैसे बस आख़िरी शाम प्रयाग हो जाए!"-
दिखावे की दुनिया में फंसकर मैने अपना वजूद खो दिया ,
जरा सी आंख बंद क्या की मैने वो किसी और का हो लिया।।-
झूठी तस्सली के अफ़साने।
नही चाहिए तुम्हारे नेक इरादे
और ना ही झूठे वादे।
जब बात जज़्बातों की होती है ना
तो दुख सिर्फ अपने देते है गैर नही।
लोगो से दूरियां कुछ ज्यादा हो रही है,
या यूं कहूँ अपने दूर होते जा रहे है।
कुछ गिला या शिकवा तो नही है किसी से भी,
बस खास लोग आम होते जा रहे है।
नही चाहिए ये गर्दिशों के साये।
नही झूठी तस्सली के अफ़साने।
नही चाहिए तुम्हारे नेक इरादे
और ना ही झूठे वादे।
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