प्रश्न पूछने वाला छात्र
पांच मिनट के लिए मूर्ख रहता है,
लेकिन प्रश्न न पूछने वाला
जीवन भर मूर्ख ही रहता है।-
दर्द था मुझे मेरा दिल टूट जाने का
और बताया डॉक्टर को मुझे सर्दी झुकाम और खाँसी है और जहाँ से मैं आया और जहाँ अपना दिल छोड़ आया
उस शहर का नाम झाँसी है।-
मेरे गम का ये दरिया देखना....उतर जाएगा एक दिन
नसीब भी आज बिगड़ा है....सँवर जाएगा एक दिन
तेरे शहर की गलियाँ भी खबर बनके छपी अखबार में होगी
'शज़र' यूँ काफिला मेरा....जो गुजर जाएगा एक दिन
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रानी से झाँसी, झाँसी से रानी, बड़ी अमिट कहानी है।
गौरव जागे जिससे जन का, जग को बात बतानी है।
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मेरी नेकियों का क्या होगा
तेरे शहर में तो दरिया भी नहीं है-
गर्दनें उतार देती थी जो,
क्या गज़ब वो तलवार चलाती होगी
दुश्मन भी काँपता था जिसकी बोली से,
उसकी आवाज़ में क्या कंपन होगा-
खूब लडी मर्दानी वो तो
झाँसी वाली रानी थी
ये कहावत तो जानीमानी है।
ये तो झाँसी की है,
लक्ष्मीबाई जैसी है।
ये कहावत झाँसी में जन्मी
हर लड़की अक्सर सुनती है।
देखो ! अन्याय न सहने वाली
रानी झाँसी से दुनिया
अब तक भी डरती है,
तभी तो झाँसी की हर लड़की
में उन्हें लक्ष्मीबाई ही दिखती है।-
झाँसी की रानी
स्वाधीनता संग्राम की वह,
चमकती तलवार थी
नारी शक्ति की उस समय
वह एक धधकती मशाल थी
गोरो की नीतियों पर वह,
एक अचुक प्रहार थी
लक्ष्मीबाई नाम था उसका
निर्झर मे वह प्राण थी
मेरा उस रानी को
है नमन, जय जय नमन
मेरा उस मर्दानी को
है नमन, जय जय नमन
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