पत्ता - पत्ता
बूटा - बूटा
है इश्क़ तेरा
झूठा - झूठा-
इतनी शिद्दत से ना देखा करों राह हमारी
हमें दरवाज़ों से इश्क़ हो जाएगा-
हरे काँच की बोतल में,
तुम ठंडे पानी सी लगती हो
ज़िल्द चढ़ी किताबों में,
तुम कहानी पुरानी सी लगती हो-
हम नहीं समझ पाएंगे इश्क़ क्या होता है
भीगे बालों से टपकता हुवा पानी इश्क़ होता है
गर्दन को छु जाए जो झुमका तेरा तो इश्क़ होता है
तेरी साड़ी का पल्लू सरक जाए तो इश्क़ होता है
ज़ुल्फ़े बिखर जाए जो खुल के तो इश्क़ होता है
पायल जब उतर जाए तेरे पैरों से तो इश्क़ होता है
आहें जब निकल जाए तेरी चीखों से तो इश्क़ होता है
काजल जो फैल जाए इन आँखो में तो इश्क़ होता है
तेरी कलाइयों को पकड़ कर मोड़ दूं तो इश्क़ होता है
तेरा जोर नहीं चलता जब मुझ पर तब इश्क़ होता है
होंठ काँपते है जब तेरे तब इश्क़ होता है
चूड़ियाँ टूट जाए तेरी कलाईयों से तो इश्क़ होता है
निशान जब पड़ जाए तेरे जिस्म पर तो इश्क़ होता है
गर जो तू रूठ के मान जाए तो इश्क़ होता है-
मैं लौटकर प्रिज़्म से वापस नहीं आऊँगा
मैं उजाला हूं टूट कर बिखर जाऊँगा-
कभी गुलाब कभी पंख
मेरी किताबों में मिले
एक तेरी याद ही खो सी गई थी-