बेवजह किसी को सताना अच्छा नहीं होता
ज़ख्मों को ज़ुबाँ पर लाना अच्छा नहीं होता
तुम बिन अगर तड़प रहा है कोई मोहब्बत में
फ़िर उसके ख़्वाबों से जाना अच्छा नहीं होता
गलतियाँ तो सिर्फ़ निगाहों की होती हैं अक़्सर
दिल की बातें सबको सुनाना अच्छा नहीं होता
कोई दो पल माँग भी ले तो ज़िन्दगी कम नहीं
यूँही नज़रें झुकाकर गिराना अच्छा नहीं होता
दिल अक़्सर फ़िसल जाता है क़ुरबत में यहाँ
फ़िर किसी की साँसें चुराना अच्छा नहीं होता
ज़रूरी नहीं हर कोई आपके दिल में बस जाये
बेवजह अब तोहमत लगाना अच्छा नहीं होता
दर्द होने से पहले मान ले मोहब्बत "आरिफ़"
बेवजह ज़ख्मों को दुखाना अच्छा नहीं होता
"कोरा काग़ज़" नहीं प्यार दुनिया में बिल्कुल
यूँही अब स्याही को बहाना अच्छा नहीं होता-
मोहॉबात भी ज़रूरी थी, बिछड़ना भी ज़रूरी था, मेरे और तेरे आंखो का दरिया भी उतरना ज़रूरी था।
-
उसने माफ़ी भी नहीं मांगी,
पर माफ़ कर दिया मैंने उसे,
शायद मैं उसकी ख्वाहिश नहीं,
पर ज़रूरी है वो मेरे लिए!-
कुछ बातें तुझे बताना ज़रूरी है
अब तुझसे दूरी रखना ज़रूरी है
अगर इश्क़ करना तेरी मज़बूरी है
तुझसे दूरी रखना मेरी मज़बूरी है
मेरे बगैर भी तेरी ज़िन्दगी पूरी है
हमारी यह प्रेम कहानी अधूरी है
-
क्या ज़रूरी है सब?
जो इस दिल में है वो जा नहीं सकता!
जिसने दिल तोड़ा है उसपे भरोसा आ नहीं सकता!
मिलेंगे हज़ारों सफ़र में मगर हर कोई साथ निभा नहीं सकता!
ख्वाइश तो सबकी होती हैं अपने प्यार के साथ रहने की
पर अफ़सोस हर कोई इस साथ को पा नहीं सकता!
ज़रूरी तो नहीं जो दिल के बहुत करीब हो वो दिल दुखा नहीं सकता!
दर्द देने वालों को माफ किया जा नहीं सकता!
दिल है जो किसी पे भी आ नहीं सकता!-
एक ‘sorry' पर टाल देती है, हमे वो
उसकी व्यस्तता में, गैर ज़रूरी से हम-