QUOTES ON #जमाना

#जमाना quotes

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7 JUL 2020 AT 19:02

तुम अपना मुक़द्दर लिखते रहो,जमाने में सिफ़र बहुत है!
तुम दिल से उलफ़त करते रहो,जमाने में हसरतें बहुत है!!
जमाने से मुख़्तलिफ होने का,जो तुम ख़्वाब देखते हो,
ऐसी ग़लफ़त कभी मत करना,क्योंकि जमाने में नदामत बहुत है!!

एक तक़सीर के बदलें, तोहमतें बहुत है,
जहाँ देखोगें,जमाने में ख़ुदगर्ज़ बहुत है!!
किसे-किसे बताओगें,सदाकत अपने दिल की,
जहाँ देखोगें,ज़माने में चेहरे से फरेबी बहुत है!!

रूहानी मुहब्बत की बातें,अपने दिल को क्या समझाओंगें,
यहाँ हर कोई,जमाने में ज़िस्मानी बहुत है!!
छोड़ दो फ़िक्र करना अब,अब्सार से आँसू बहाना अब,
जहाँ सुनोगें,वहाँ ज़मानें में मुख़ालिफ बहुत है!!

प्यार,प्रेम,मुहब्बत,रिफ़ाकत सब जायज है,बस तुम इश्क़ करना छोड़ दो,
जहाँ बगावत करोगें,वहाँ ज़मानें रश्क़ बहुत है!!

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2 JAN 2021 AT 18:51

जमाना रश्क़ रखने लगा है मुझसे,
अब वो ख़्वाबों में जो मिलने लगी है।।
जब कोई आवारा कहता है ना मुझे,
अक़्सर उसी की ज़ुल्फों में पनाह मिलती है।।

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12 OCT 2020 AT 0:19

बेशर्त मुहब्बत भी करेगा और वफा भी ,

अरे छोड़ो वो यार है तुम्हारा , ' मां ' थोड़ी है !!

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24 JUN 2020 AT 7:17

गुस्ताखियाँ करता है बड़ी, दिल तू डरता क्यूँ नहीं।
बस में अपने इस प्यार की डोर, तू करता क्यूँ नहीं।

यूँ तो जमाना कहता है, वक्त भी एक मरहम है
जिंदगी नें दिये हैं जो जख्म, वो भरता क्यूँ नहीं।

जताते थे जो कि मरते हैं, सीरत पे सूरत पे नहीं
खफा हैं वो हमसे यूँ कि, तू संवरता क्यूँ नहीं।

कहा मैनें मर जाऊंगा, जिस दिन न देखूँ तुम्हें
शिकवा है उनका अब कि, तू मरता क्यूँ नहीं।

हो जाते हैं हसीन पल, छू-मंतर पलक झपकते ही
मेरी तन्हाई का ये मंजर, अब गुजरता क्यूँ नहीं।

छत टपकती है उसकी, बारिश की दुआ भी करता है
ऐ खुदा किसान के इन दुखों को, तू हरता क्यूँ नहीं।

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16 JUN 2020 AT 7:15

सब कुछ तो है तेरे पास, तुझे ये जमाना क्यूँ खलता है।
मिलेगा जो नसीब में है, खुदा का लिखा कहाँ टलता है।

जिंदगी की चुनौतियों से, मुकाबला करो डट कर
खरा होता है वो सोना, जितना आग में जलता है।

ढाल अपने किरदार को जीवन में, कि गूंजे तालियाँ
खोटा सिक्का इस दुनियां में, अब कहाँ चलता है।

थक हार कर यूँ खांमोश, मत बैठ मेरे ए दोस्त
इन अंधेरों के बाद तो, दिन नया निकलता है।




दूध-दही काजू-बादाम, क्या पता उसे "नवनीत"
वो एक गरीब का बच्चा है, मिट्टी में पलता है।

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29 JUN 2020 AT 7:44

"गुजर जाते हैं"

सिलसिला है जो इस प्यार का, यूँ तो अक्सर नहीं होता
दिल मेरा सब जानता है, फिर क्यूँ इसे सबर नहीं होता।

हिचकियाँ आने लगती थीं, कभी मेरे एक याद से ही
अब गुजर भी जाएं गली से, तो उनको खबर नहीं होता।

मैं घुट घुट कर जी रहा हूँ, उन्हें दूसरा यार मिल गया है
ये इश्क का इंसाफ कमबख़्त, अब बराबर नही होता।

ये जमाना है स्वार्थ का, फिकर नहीं किसी को गैरों की
गर तुम टूट भी जाओ अब , तो उनको असर नहीं होता।

ये प्यार है "नवनीत", खुद से ज्यादा दूजे पे भरोसा करते हैं
देखे गर शक की निगाह से, वो सच्चा हमसफर नहीं होता।


उखाड़ना नहीं कभी पुराने पेड़ को, आंगन में छाया करता है
साथ रहते नहीं माई-बापू जहाँ, वो घर यूँ तो घर नहीं होता।

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11 MAY 2021 AT 11:14

ये जमाना भी क्या अजीब लगता हैं
कुछ लोग ज़्यादा जी ले तो सबकों बुरा लगता है
और अगर कहीं लोग ज्यादा मर गए
तो जमाना दहशत में लगता है

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कौन करता है, फर्क
"कद" का"****
इस नये से ज़माने में

ख़ुदा-न-खास्ता
.........................
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मैं अगर तुमसे
जरा सी भी
क़द में बड़ी हुई
मैं खुद को हमेशा
झुका लिया करुंगी
और‌ तुम्हें उठाया करुंगी
यहीं तों हैं.... "अदब"

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27 JUN 2019 AT 21:44


उसे ही खबर न हुई,
‌‌ बाकी सारे ज़माने को हो गई
कि हमें उससे मोहब्बत हो गई

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5 JUL 2020 AT 7:07

"तेरा होना चाहता हूं"

तेरे एहसांसो के मोती को, दिल के धागे में पिरोना चाहता हूं।
हर पल हो तेरी ही फिक्र, याद में इस कदर खोना चाहता हूं।

एक डर सा लगा रहता है यहाँ, कि कोई तोड़ ना दे मुझे
महफूज़ रखूं खुद को, तेरे दिल का वो कोना चाहता हूं।

मुद्दतें हो गयी हैं, सुकून की नींद नहीं पड़ती
अब तो बस तेरी, बाहों का बिछौना चाहता हूं।

छुपा चुका बहुत मैं, इन जज्बातों को जमानें से
तेरे कंधे पे सर रख अब, सरेआम रोना चाहता हूं।

जवानी नहीं मुस्कुराती कभी, अब उस बचपन की तरह
उछल पड़ता था खुशी से, बस वही खिलौना चाहता हूं।

अच्छे कामों में देर नहीं करते, चलो मुकम्मल कर दो
अपना बना लो मुझे, मैं तो बस तेरा होना चाहता हूं।

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