तुम अपना मुक़द्दर लिखते रहो,जमाने में सिफ़र बहुत है!
तुम दिल से उलफ़त करते रहो,जमाने में हसरतें बहुत है!!
जमाने से मुख़्तलिफ होने का,जो तुम ख़्वाब देखते हो,
ऐसी ग़लफ़त कभी मत करना,क्योंकि जमाने में नदामत बहुत है!!
एक तक़सीर के बदलें, तोहमतें बहुत है,
जहाँ देखोगें,जमाने में ख़ुदगर्ज़ बहुत है!!
किसे-किसे बताओगें,सदाकत अपने दिल की,
जहाँ देखोगें,ज़माने में चेहरे से फरेबी बहुत है!!
रूहानी मुहब्बत की बातें,अपने दिल को क्या समझाओंगें,
यहाँ हर कोई,जमाने में ज़िस्मानी बहुत है!!
छोड़ दो फ़िक्र करना अब,अब्सार से आँसू बहाना अब,
जहाँ सुनोगें,वहाँ ज़मानें में मुख़ालिफ बहुत है!!
प्यार,प्रेम,मुहब्बत,रिफ़ाकत सब जायज है,बस तुम इश्क़ करना छोड़ दो,
जहाँ बगावत करोगें,वहाँ ज़मानें रश्क़ बहुत है!!
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