मेरे जनेऊ के तीनों धागे का,
अपना अपना काम है प्यारी,
एक देश ,दूजा धर्म तीजा तेरे नाम है प्यारी।।-
8 OCT 2019 AT 12:37
8 SEP 2020 AT 17:03
कहां चले बाबू
इन मजहबी इश्क़ की गलियों में।
गले में भगवा,
जिस्म पर जनेऊ
और सिर पर चोटी रखने वालों को
हिजाब में लिपटी मोहब्बत कहां नसीब होती है।
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28 APR 2021 AT 22:47
उपनयन संस्कार,
सामाजिक रीति रिवाज की व्यवस्था में,
बचपन व किशोर के बीच की अवस्था में,
उपनयन संस्कार का विधिवत विधान है,
सनातन धर्म का यह, भौतिकी विज्ञान है.
-mkm
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31 MAY 2019 AT 22:42
वो बुरखा नहीं पहनती ,
मैंने जनेऊ है उतार रखा ।
ये आहट नहीं बगावत की ,
कि हक़ फैसले का साथ रखा ।
मैं मन्दिर मस्ज़िद ही नहीं ,
चर्च गुरद्वारे भी जा चुका ।
कोई मसला हो तो बताओ ,
शाम में चाय का इंतज़ाम रखा ।
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