कहां चले बाबू
इन मजहबी इश्क़ की गलियों में।
गले में भगवा,
जिस्म पर जनेऊ
और सिर पर चोटी रखने वालों को
हिजाब में लिपटी मोहब्बत कहां नसीब होती है।
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A Writer by Passion.
यूँ तो तस्वीरें पसंद नहीं आती मुझे मेरी
पर तुम साथ हों फिर अच्छी लगती हैं-
इक विन्नती है मेरी सभी माँ-बाप से
कि वादा है मेरा बेटियाँ कभी नहीं भागेंगी फिर घर से।
अपनी पसंद के लड़के से उसकी शादी तय करने से पहले
बस इक दफा पूछ लिया करो उससे
कि बेटी तुम्हें मोहब्बत तो नहीं है किसी से।-
जब से शादी की ख़बर सुनी है उनकी
मोहब्बत हर पल और ज़्यादा हो रही है मुझे उनसे-
हैरत हो रही है इस बेगैरत दिल पर कि धड़क रहा है अभी भी
जो कहता था कभी तेरे होने से धड़कता-साँस लेता हूँ मैं-
कल तक जिस मर्ज की दवा देते थे आज वो बीमारी हमें क्या हुई
ना कोई दवा काम कर रही है, ना कोई दुआ काम कर रही है-
Online रह कर सोने लगी है वो आजकल
मेरी मोहब्बत किसी और की होने लगी है आजकल-
बर्बाद होने का शौक भी शौक से रखते हम,
गर ये बर्बादियाँ तुमसे मिलाने का जरिया होतीं।-
कि कभी-कभी दिख जाती हैं तस्वीर उसकी
और फिर उस बेरंग पुरानी हो रही मोहब्बत में रंग नये से भर जाते हैं।-