बड़ी बेरहमी से रुला गया था कोई शख़्स आज अपने ही आँसू जिसे खारे लगते हैं मुद्दत बाद आज बाजार में मिले मोहतरमा हम भी कह आए जनाब मोहब्बत में हारे लगते हैं
जख्म भी अपने हैं और जज़्बात भी अपने, दर्द भी अपने हैं और अल्फ़ाज़ भी अपने, फिक्र नहीं कि आज आँखों में बारिश ठहर गई, मोहब्बत भी अपनी है और वो जनाब भी अपने !