कभी पैसे उधार मांग कर देखो जनाब,
क्या पता तुम्हारी कीमत पैसों से कम निकले।-
बड़ी बेरहमी से रुला गया था कोई शख़्स
आज अपने ही आँसू जिसे खारे लगते हैं
मुद्दत बाद आज बाजार में मिले मोहतरमा
हम भी कह आए जनाब मोहब्बत में हारे लगते हैं-
किसी के दिल पर जनाब! किसी का क्या ज़ोर है
अगर हमारा चाँद चोर है
तो मियाँ जी समझो, उसके दिल में कोई और है-
धीरे धीरे डूब रहे हैं
संभलना अब मुश्किल लगता है
छोडो ज़नाब अलविदा कहो
यहाँ कौन अपना लगता है-
जनाब आप मुझको बस ऐसा समझिए
मैं आप तो नहीं बस आपके जैसा समझिए
जो हाल आपका है वही हाल मेरा
अब आप ही जानिए मुझको जैसा समझिए-
इन फेरों का हिसाब भी बहुत बुरा है जनाब,,,,,
सात फेरों के लिए,हजारों फेरे उनकी गली के लगाने पड़ते है।।-
अभी भी खाेये हुये हैं , जनाब ख़्वाबाें की दुनिया में..
उठते ही कहेंगे " सुनाे , तुमने जगाया क्यूं नहीं "..💓-
जख्म भी अपने हैं और जज़्बात भी अपने,
दर्द भी अपने हैं और अल्फ़ाज़ भी अपने,
फिक्र नहीं कि आज आँखों में बारिश ठहर गई,
मोहब्बत भी अपनी है और वो जनाब भी अपने !-
Kabhi kabhi kaabiliyat ko bhi majbur hokar apne beshumaar pyaar ko paane k liye bhaagna padta hai...
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