QUOTES ON #जख़्म

#जख़्म quotes

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6 JUL 2020 AT 14:53

कभी कभी हम लोग क्या अजीब सा इत्तेफ़ाक बना लेते हैं
इतना गहरा होता नही ज़ख्म जितना कुरेदकर बना लेते हैं

जहाँ होनी चाहिए आवाज़ बुलंद हमारी वहाँ होती नहीं है
बाद में पीठ पीछे से अपने आप को सिकंदर बना लेते हैं

क्या मिलता है लोगो को दूसरों की जिंदगी में दख़ल दे कर
उनके बीच अविश्वास पैदा कर दीवार भेदकर बना लेते हैं

और मैने देखा है अक्सर जमाने की फितरत को गौर से
जिसको ज़रूरत नहीं है उसको भी जरूरतमंद बना लेते है

वक़्त की जरूरत कुछ ऐसी होती है जो नहीं चाहते करना
अपना मन मार कर नापसंद को अपनी पसंद बना लेते हैं

इस ज़र्ज़र पड़े अपने शरीर को कुछ अच्छे काम में लगाओ
क्या हम बेहुदा से शौक़ औरआलस को आनंद बना लेते हैं

हर इश्क़ के मुसाफ़िर का अपना अलग दर्द होता है 'रूचि'
बेवफाई झेलकर अपने दिल में दर्द की सुरंग बना लेते है

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10 FEB 2018 AT 23:25


जख्म मुकद्दर, दर्द हमसफर हो गया है
अब तो वक्त का मरहम भी बेअसर हो गया है

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15 DEC 2018 AT 19:15

रंजिशे हैं ज़िंदगी में
नज़्म जैसे जो लग रहे
वक्त आंधी सा लगे है
जख्म़ गहरे जो सज रहे

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5 APR 2021 AT 21:56

मुफ़लिस हो गया हूँ इतना के लिखने को क़लम भी नहीं
वो यार भी नहीं दर्द भी नहीं अश्क़ भी नहीं जख़्म भी नहीं

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13 JAN 2018 AT 8:04

मुकम्मल हो न सकी जो इश्क़
उस इश्क़ की तासीर हूँ मैं
कभी दर्द बनके कराहने लगता हूँ
तो कभी जख़्म सा भरने लगता हूँ

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12 DEC 2020 AT 22:05

अब तन्हापन की चोट असहनीय हो रहा है
और बेरहम वक्त है कि जख़्म-पे-जख़्म दिये जा रहा है

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12 DEC 2020 AT 6:31

कल की यादें अब कब तक रूलाओगे ?
वक्त से कह दो न मेरे महबूबा से मिला दे।

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2 OCT 2020 AT 20:38

हर ख्वाहिश हक़ीक़त नहीं बनती
हर दवा ज़ख्म नहीं भरती
कुछ रिश्ते गुमनाम ही अच्छे है,
हर किस्से की कहानी नहीं बनती !!

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22 JUN 2017 AT 8:54

गम अपने सुना रहे थे वो
जख़्म हमारे हरे हुए जा रहे थे

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14 MAY 2019 AT 21:00

वक्त को भी वक्त चाहिए 'जनाब'
सोचना पड़ता है कि
जख्म का क्या करना है??

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