उसको वहम हैं कि मुझे जिंदगी से मोहब्बत हैं बहुत,
छुरा घोंपने आया तो मैं सीना तान दूँगा-
ये नया जमाना है साहब, तोहीन हम किस-किस की करें...
यहां तो अपने ही छुरा लिए बैठे हैं, आप बताएं एतबारी किस-किस की करें...-
"पीठ में छुरा भौंकने वालों
ये तुम जान लो
पीछे भी है हमारी आँखें
ये तुम मान लो
जो हमारे अपनों को खरीदते हो
समझ जाते हैं हम
इसलिए तुम्हारे वार से पहले ही
सम्हल जाते हैं हम..."-
जब अपने भोंकते हैं पीठ में छुरा
तब अादमी दर्द से बेहद तड़पता है..
दुश्मनों के दिए धोखें तो
चाट-पापड़ी से होते हैं !-
समझ नही पाओ मुझे इतना मै बुरा नही
भुल ही जाओ मुझे इतना मै अधुरा नही
पढ़ ही ना पाओ मुझे इतना भी मै पुरा नही
पीठ पीछे वार करू इतना निर्लज्ज मै छुरा नही
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आदमी कोई भी पैदा बुरा नहीं होता
किसी की पीठ में खुद ही छुरा नहीं होता
टूटता ना विनय ये दिल जो होता पत्थर का
या ये पत्थर पे जाके खुद गिरा नहीं होता-
मन मैला रख, शरीफ जग भया
मुह पे गुलाब बरसाये, पीठ छुरा भोंक गया...-
किसी पर भी यकीन मत कीजिए दोस्तों,,,,
अपनों को ही पीठ में छुरा घुसाते देखा है !!!-
मेरे दुश्मनों ने ढूंढ लिया
मेरे अपनों का पता
मुझे मारने के लिए अब
हथियारों की क्या जरूरत,,,।।-