फिरता है
थोड़ी जली, बुझी मशाल लिए फिरता है
वो उलझने तमाम लिए फिरता है
जिम्मेदारियों का टोकरा दिन से रात के बीच रखता है
दिल से है आवारा, दो वक्त की भूख मिटाने फिरता है
सबके जवाबो को आलिंगन में रखता है लेकिन
खुद में हजारों सवाल लिए फिरता है
चेहरे पर मुस्कान, होठों पर हसीं
फिर भी जहां में उदासी लिए फिरता है
बचपन का प्यार, घर संजोने का सपना
लेकिन वो बेरोज़गारी का टैग लिए फिरता है
नाकामयाबी भी हैरान है हौसले से उसके
मंजिलों के अनमोल ख्याल लिए फिरता है।-
फर्क है तुम्हारे और मेरे प्यार में..
दोस्त तुमने इंसान से प्यार किया...
मेने प्रकृति से..
तुमने उस पर खर्चा किया मैने घूमने पे...
तुमने घंटो उससे बात की...
मेने नदियों की कलकाहट सुनी...
तुम्हें प्यार की गहराई में उतरना था ....
मुझे पहाड़ पे चढ़ना था..
तुम्हें धोखा मिला ,मुझे जिंदगी की सच्चाई...
उसने तुम्हें छोड़ दिया...
में आज भी उसके साथ...
तुम आशिक़ बन गये और में घुमकड....-
हम जितने में हैं, खुश हैं
इसलिए तो बिंदास्त हैं!
हम रोज खाते हैं, जो रोज कमाते हैं
हम रोज कमाते हैं, तभी रोज खाते हैं
जीवन पग पर धीरे धीरे बढ़ते जाते हैं
मिला मौका संचय का, संचय भी कर लेते हैं
जीवन के पथ पर ऐसे ही, जीवन से लड़ते झगड़ते
हम धीरे धीरे बढ़ते जाते हैं
हम जितने में हैं, खुश हैं,
इसलिए तो बिंदास्त हैं!
न कोई चीज हमारे पास है, न किसी चीज की आस हमे है
न किसी के भरम में जीते हैं न किसी के करम पे जीते हैं
रोज एक कुंआ खोदते हैं, उसी का पानी पीते फिरते हैं, फिर
दूसरों के लिए छोड़कर,
हम सब धीरे धीरे आगे बढ़ जाते हैं
हम जितने में हैं, खुश हैं
इसलिए तो बिंदास्त हैं!
कभी यहां कभी वहां में,बितती चली जाती है जिंदगी
सारी समस्याओं को, इकट्ठा करते जाती है जिंदगी
भाग दौड़ के नाम, रजिस्टर हो जाती है जिंदगी
इतने तकलीफों में भी,कभी निराश नहीं होती है जिंदगी
धीरे धीरे आगे बढ़ती जाती हैं जिंदगी !
हम जितने में हैं, खुश हैं
इसलिए तो बिंदास्त हैं!
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’-
हमारी जिंदगी अब तो घुमक्कड़ हो गई ,
हर पल घूमने का बहाना ढूंढती!
चलो सही है जिंदगी पियक्कड़ नहीं हुईं,
नहीं तो हर वक्त पीने का बहाना ढूंढती!😁
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मेरे साथ जिन्दगी इतनी भी आसान नही होगी तुम्हारी,
मुझे तो अभी बहुत सफर तय करना है,
लेकिन अगर मेरे साथ चलोगी तो इस सफर में मजा बहुत आएगा।।।-