अjay Nayak   (अjay नायक 'वशिष्ठ')
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लिखते हो, तो लिखते रहिये! आपके न सही, शायद किसी और के काम आ जाये!
Joined 29 May 2020


लिखते हो, तो लिखते रहिये! आपके न सही, शायद किसी और के काम आ जाये!
Joined 29 May 2020
12 JUN AT 22:33

दिल आज भी रो पड़ता है, उस दर्द को महसूस करके जो अपना न होकर भी अपना हो गया था.......

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12 JUN AT 22:31

कभी कभी कैमरे वो चीज कैद कर लेते हैं जो आंखे भी कैद नहीं कर पाते हैं असल में वे असल जिंदगी दिखा जाते हैं

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19 MAY AT 22:04

एक बेटे का जीवन, जितना कष्ट दायक उसके पिता के साथ न होने से होता है
उतना ही कष्ट दायक, अंतिम क्षण में एक पिता के साथ उसके बेटे का न होना होता है !
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

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16 MAY AT 16:31

प्यार तो बहुत है उससे
बस उसे रुठाना नहीं चाहते हैं,
इसलिए पास जाकर उसके
कभी कुछ बोलना नहीं चाहते हैं!
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

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1 MAY AT 23:05

प्यार कभी भी चिल्लाता नहीं है
प्यार शांति से बहता चला जाता है !
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

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27 APR AT 11:27

तेरा आना

तेरा एक कॉल आया
पिछला सारा दर्द दूर हो गया
एक तेरे कॉल ने
अगर इतना कमाल किया
आंगन में तेरे कदम पड़ने से
कितना कमाल होगा
इसलिए कह रहा है ये कवि मन
अगर तू रख दे
अपने कदम हमारे आंगन में
तीतर बितर हुआ
बिखरा सा पड़ा
हमारा पूरा जीवन संवर जाए !
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

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26 APR AT 20:34

अचानक मिले चीज की कीमत भी चौंकाने वाली होती है!
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

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22 APR AT 22:11

वे सिर्फ मारना जानते हैं
उनके मूल में ही वही है
जिसके मूल में जो रहता है
वह वही कार्य भूत से करते हुए
वर्तमान के रास्ते
भविष्य की तरफ बढ़ता चला जाता है
बदलने की कोशिश भी करता है
पहचान खोने के डर से
एक इंच भी बढ़ नहीं पाता है
इसलिए खुद को आगे बढ़ाने के लिए
पहले दूसरों को मारता हैं
दूसरे नहीं मिलते हैं तो
खुद के लोगों को मारता हैं
आप सौ प्रतिशत कह सकते हैं
उनकी यही एक पहचान है
बस लोगों को मारकर
खुद की पहचान बनाना हैं
इसी रास्ते पर चलकर
खुद की हुकूमत तैयार करनी है
उनके बड़े बूढ़ों ज्ञानियों द्वारा
उन्हें यह इल्म दिया जाता है
उन्हें यह पाठ पढ़ाया जाता है
उनके इसी तरह के कार्यों से
उनके इसी तरह के हरकतों में
उनकी बढ़ोत्तरी है
उनकी पहचान है
आप आराम से चारो तरफ
अपनी नजर उठाकर देख सकते हैं!
उनकी पहचान है!
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

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16 APR AT 11:18

अरे इंसान, अब और कितना नीचे गिरेगा
तू एकबार खुलकर बोल क्यू नहीं है देता
बोल दे आदिम नस्ल की मेरी पैदाइश है
हरकते भी तो आदिम नस्ल का ही रहेगा
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

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8 APR AT 20:29

आज भी तेरी भीनी भीनी महक
तरो ताजा बरकरार है मेरे आंगन में
तेरे आने जाने से कम तो नही होगा
शायद वह महक और जी ले मेरे आंगन में
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

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