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न मिलता है वो गीता में न वो क़ुरआन से ख़ुश है,
न आया वो भजन सुनकर न वो अज़ान से ख़ुश है,
उसे काफ़िर भी प्यारा है, उसे मोमिन भी प्यारा है,
वो मालिक दो जहानों का भले इंसान से ख़ुश है।
तेरी पूजा-नमाज़ों की नहीं दरकार कुछ उसको,
उसे दिखता है दिल तेरा, तेरे ईमान से ख़ुश है।
तू बन हाफ़िज़ या हो पंडित कहाँ ये ग़र्ज़ है उसकी,
वो मासूमों का है दिलबर , दिले-नादान से ख़ुश है।
वो चिड़ियों को खिलाता है, वो रिंदों को पिलाता है,
वो सबसे प्यार करता है, वो हर इक जान से ख़ुश है।-
सुनो न..
हो इजाज़त इतनी ही गर आज़ मुझको
हमीं उनकी आंखों के कम–नसीब वो ख़्वाब चाहते हैं..
ख़ैर ओ ख़लिश इतनी सी है दिल में
चश्म-ओ-चिराग हम वो महताब चाहते हैं..
वफाओं से बसर कर शिद्दत–ए–मोहब्बत का सफ़र
मोहब्बत में दिल का इज़्तिराब चाहते हैं..
ऐ ख़ुदा और कितना करोगे जब्र हम पर
अब कुछ देर जो छाया दे वो अस्बाब चाहते हैं..
मत पूछो हमसे ओ मुर्शीद कि हम क्या चाहते हैं
मातम–ए–इश्क़ में हर बार अज़ाब ही अज़ाब चाहते हैं..
❤️❤️❤️-
चमन में भले कोई माली नहीं हैं,
नशेमन गुलों का तो ख़ाली नहीं हैं,
कलम हाथ में है, नशा है ग़ज़ल का,
शराबों की हाथों में प्याली नहीं है।
तू था बेवफ़ा तूने साबित किया है,
मेरा ये यक़ीं बदख़्याली नहीं है।
नहीं माँगते जाओ तुमसे भी अब कुछ,
के आशिक़ है दिल ये, सवाली नहीं है।
इज़्ज़त नहीं गर, तो तोहमत सही पर,
ये दामन हमारा भी ख़ाली नहीं है।
अगर कह दिया उसने मर जाएँगे हम,
कभी बात ज़ालिम की टाली नहीं है।
हमें क्या भला कौन क्या कर रहा है,
ज़माने की हमको स्याली नहीं है।
चुँधया गईं 'साज़' आ़खें सभी की,
यहाँ घर जलें हैं, दिवाली नहीं है।-
अगर कह दिया उसने मर जाएँगे हम,
कोई बात ज़ालिम की टाली नहीं है।
चुँधया गईं 'साज़' आ़खें सभी की,
यहाँ दिल जला है, दिवाली नहीं है।-
मेरे महताब अगर तेरी दीद हो जाए,
हिज्र - रोज़े के बाद मेरी ईद हो जाए,
तेरा दस्ते करम जो दे वो आबे कौसर है,
ज़हर दे जाए अगर वो मुफ़ीद हो जाए।
यूँ समझिए मेरे महबूब की अदाओं को,
जितने बैठे हैं बज़्म में मुरीद हो जाएँ।
पहलू में उसके तुमको अश्क़ गिराने होंगे,
ताकि महबूब के दिल की ख़रीद हो जाए।
तू समझ जाए के शायर की शिफ़ा कैसी है,
मर्ज़े उल्फ़त अगर तेरा मज़ीद हो जाए।-
मेरे मालिक मुझे ऐसा हुनर दे दे,
मेरी तहरीर में अर्शी असर दे दे।
सँवर जाएगी क़िस्मत हम ग़रीबों की,
मेरे मौला इनायत तू अगर दे दे।
नहीं कुछ सूझता हमको कहाँ जाएँ,
मेरे अल्लाह हमें अब चारागर दे दे।
बड़े बेफ़िक्र हैं हम सब फ़राइज़ से,
तू मज़लूमों की हर दिल को फ़िकर दे दे।
मैं लिक्खूँ इक ग़ज़ल हर दिल बदल जाए,
मुझे या रब कोई ऐसा बहर दे दे।-
शक्ल दिखाने आए हो, या बात बढ़ाने आए हो,
इतने बरसों के बाद सनम, क्यों मुझे मनाने आए हो,
जो बीत गई वो बात गई, चंदा तारों की रात गई,
हम भूल गए जिन बातों को, क्यों याद दिलाने आए हो।
बरसों बरसीं मेरी आँखें, तब जाकर ग़म की आग बुझी,
अब मरने दो इन शोलों को, क्यों और जलाने आए हो।
क़िस्तों में मेरी जान गई, हस्ती तो कब की भस्म हुई,
बस राख़ बची है ख़ाबों की, जो तुम सुलगाने आए हो।
कुछ ऐसे दिल पर वार हुए, धड़कन रहते बेजान हुआ,
अब मुर्दादिल को सोने दो, क्यों आस जगाने आए हो।
सुनते जाओ जब आए हो, न मैं हूँ 'वो', न तुम 'तुम' हो
इस वक़्त से हम-तुम बदल गए, तुम वक़्त गवाँने आए हो।-
दिल में आ जाओ के दिल का सहारा बन जाओ,
कितने क़िस्से हैं तुम क़िस्सा हमारा बन जाओ,
बस उदासी है जिस तरफ़ भी नज़र जाती है,
आओ नज़रों में यूँ दिलकश नज़ारा बन जाओ।
ज़िन्दगानी के ये भँवर मार डाले ना,
थाम लो हाथ तुम दिल का किनारा बन जाओ।
तन्हा तारीकियों में रात अब तो कटती नहीं,
साथ दे जाओ तुम रौशन सितारा बन जाओ।
जिसको माँगा है दुआओं रात - दिन हमने,
तुम ख़ुदा पाक का वो ही इशारा बन जाओ।-
हर मर्ज़ का इलाज उसकी शायरी में है
शायर वो क्या हुआ के मेरा चारागर हुआ।-