असर दबाए रखना खबर फैलने तक
जान बचाए रखना जहर फैलने तक
ये जो तुम उड़ रहे हो खूब उड़ो
मगर मेरे नाम की लहर फैलने तक-
खौफ है हमें, खुद की ही, निगाहों से, कि........,
कहीं इन्हें, तेरी, तलब न लग जाए।
अगर, मुकम्मल नहीं होगे, तुम हमें,
तो, ये जिन्दगी हमारी, कहीं, मसला न बन जाए।।-
बिछड़ने के खौफ से मैं बेशक डर जाऊंगा
पर ऐसा थोड़ी है कि बिछडूंगा तो मर जाऊंगा-
वो गरीब ही है,जो भूख से रात भर रोया।
अभी तो ठंड है,नजाने वो हर रात कैसे सोया।
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"खौफ़ जिंदगी का "
खुशियां गुम हो गई हैं ,गमों का कहर बढ़ गया है ,
मुस्कराहटों की जुबां पे उदासी का जहर चढ़ गया है ....
वहशियत की आड़ में गुमशुदा हो गए इंसानियत के तकाजे,
लगता है रूह पर हैवानियत का असर बढ़ गया है ....
फैल गई आग वन में कई आशियां जल गए हैं ,
इंसानों के स्वार्थ में हर शज़र जल गया है ....
कहीं जश्न का दौर तो कहीं भूख,बदहाली का आलम ,
कुछ बचपन ही फेंके हुए टुकड़ों पर पल गया है ....
पहनती थी कभी हरीतिमा की साड़ी ये प्रकृति ,
पर स्याह रंग अब कंकरीट का इसपर चढ़ गया है....
कहीं जलसंकट की त्रासदी तो कहीं बाढ़ की तबाही ,
पानी के खौफं से इंसान किस कदर डर गया है ...
चाक कर दिया वो सीना जिससे पान किया ममता का ,
कि स्वार्थ खून के रिश्तों को बेअसर कर गया है ....
कब क्या हो जाए इस भय से भरे दिलों में ,
मौत का नही "खौफ़ जिंदगी का "भर गया है ....निशि
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बेखौफ ज़िन्दगी है, एक ख़्वाब के मानिंद,
हक़ीकत-ए-ज़िन्दगी में है हर शख्स डरा डरा,
अल्फ़ाज़ हैं लरज़ते, आवाज़ जो निकालूँ,
एक पल सुकूँन-ए-दिल, है मुझको नहीं ज़रा...-
पहले पढ़ाई फिर कमाई के लिए जाना ही पड़ता है!!
कभी शौक से कभी खौफ से घर से जाना ही पड़ता है!!-
खौफ के लिए अब खंज़र की जरूरत नही होती,
मेरा होना ही काफी है उस मंजर में जमाने के लिए।।-