एक दिन बदल जरूर जाऊंगी
खुद को नही
इन ज़िद्दी उसूलो को-
वो एक दोस्त जो बेवजह ही बन गया..।
स्कूल या कॉलेज की बुनियाद पर नहीं
जिंदगी और उसूलो की बुनियाद पर बन गया..।
वो दोस्ती जिसकी रफ़्तार तों धीमी थी
पर सफ़र हसीन सा बन गया..।
वो दोस्त जो जिंदगी के नये पड़ाव पर मिला
पर आसान जिंदगी कर गया..।
वो एक दोस्त जो बेवजह ही बन गया..।-
तेरे उसूलो की खातिर मैंने वो सब छोड़ा जो तूने चाहा...
अब मेरे उसूल कहते है कि तेरे संग ये दुनिया छोड़ दूं...-
रस्म कुछ करने का जरिया होता है कोई बंदिश नहीं,
रस्में तो संस्कृति का एक निदेश है कोई आदेश नहीं,
मत सुनो ऐसे लोगो की जो रस्मो को शर्त बना दे,
पर कुछ लोगो के कारण रस्में बुराई की गर्दिश नहीं..-
जमीर नही बेचा करते है
और ना ही
वैश्या तवायफ रंडी बना
करते है।-
अक्सर अपने जमीर और इरादों के पक्के होते है
ना की एक कोठे की वैश्य होते है
जो कपड़े अच्छे पहने होते है लेकिन अंदर से
होते नंगे है भिखमंगे है।-