न कभी हमने कहा उनसे न उनके लब खुले
इश्क़ में इज़हार का लम्हा कभी आया नहीं-
Ravi Sharma
(रवि शर्मा 'वीर')
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प्रभु श्री राम और कृष्ण का एक तुच्छ उपासक...🙏
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प्रेम भाव पर कविताओं का सर्जन करना मेरे हृद... read more
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Joined 1 June 2017
15 AUG AT 13:33
कहीं गोलियां चली थी कहीं मुंड कट रहे थे
कहीं रक्त बह रहा था चरखे कहीं चले थे
वो दौर जब सभी की माशूक इक आज़ादी
बस इश्क़ था वतन से जिस पर वो मर मिटे थे
जिस उम्र में किसी को झूले पे झूलना था
वो बस वतन की ख़ातिर फाँसी पे झूलते थे
टूटी न जाने कितनी चूड़ी कलाइयों की
पल्लू की ओट में भी आँसू छलक रहे थे
तेईस की उमर के क्या खूब थे दीवाने
सीने पे ख़ाके गोली इंकलाब बोलते थे-
15 AUG AT 13:01
मुझको यकीन इक दिन वो आ मिलेगी मुझसे
तितली भी फूल से यूँ कब तक जुदा रहेगी
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14 AUG AT 18:59
अब तो बस इतनी ही हसरत बाकी है
एक दफ़ा तुमको बाहों में भर पाऊं
मैं डरता हूँ ऐसा न हो जाए की
तेरे आने से पहले मैं मर जाऊं-
14 AUG AT 15:42
चूमकर के कह रही हो अलविदा यानी कि तुम
दे रही हो मौत के संग इक नई सौगात भी-
11 AUG AT 20:48
आपको भुला दिया जाएगा
हर उस क्षण के बाद,
जब सामने वाला स्वयं को
बेहतर अवस्था मे पाएगा।-