मिलने को एक बहाना चाहिए
ना मिलने के 100 बहाने होते है-
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प्रेम भाव पर कविताओं का सर्जन करना मेरे हृद... read more
आसमां को देखिए तारों से बातें कीजिये
छोड़कर उस एक को सारों से बातें कीजिये
मुश्किलें हो या अकेलापन सताए गर कभी
जाइये जाकर के कुछ यारों से बातें कीजिये
बेबसी, ग़म और तन्हाई में रोना कब तलक
हो नहीं कोई तो दीवारों से बातें कीजिये
रौनके ज़ागीर थोड़ी है अमीरों की यहाँ
जाइये इक बार फ़नकारों से बातें कीजिये
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तुमने ही आवाज़ नही दी थी वरना,
जाने वाले रोके भी जा सकते थे।
मेरे आँसू पोछे भी जा सकते थे।-
खो गयी ग़ज़लें कहीं पर खो चुका है इश्क़ भी
बदनसीबी ओढ़कर के सो चुका है इश्क़ भी
आइए, मिलिए मगर न पूछिये क्या हाल है
समझिए होना नहीं था हो चुका है इश्क़ भी-
जो यूँ पलट-पलट के नज़रें मिला रही हो
पागल हुई हो या फ़िर पागल बना रही हो
सारे जहाँ की खुशियाँ तुम पर लुटा चुका मैं
तुम चंद तोहफें अब मुझको गिना रही हो
था 'वीर' वो पुराना धोखे में आ गया जो
अब बे-फज़ूल ही तुम आँसू बहा रही हो-
जो यूँ पलट-पलट के नज़रें मिला रही हो
पागल हुई हो या फ़िर पागल बना रही हो
सारे जहाँ की खुशियाँ तुम पर लुटा चुका मैं
तुम चंद तोहफें अब मुझको गिना रही हो
था 'वीर' वो पुराना धोखे में आ गया जो
अब बे-फज़ूल ही तुम आँसू बहा रही हो-
हमनें भी कई साल गुज़ारे है इश्क़ में
हमको भी तज़ुर्बा है वफ़ादार यार का-
समय कुछ यूँ गुज़ारा जा रहा है
किसी का हिज़्र काटा जा रहा है
किया कुर्बान अपना हक़ किसी ने
उसे हिस्सों में बाँटा जा रहा है
कहाँ होता है कोई यार अपना
कहाँ रिश्ता निभाया जा रहा है
नहीं इतना भी पागल हूँ नहीं मैं
यहाँ जितना बताया जा रहा है
जिसे अनमोल कहता था कभी मैं
उसे सिक्कों में पाया जा रहा है-
हाथों में अब पहले वाला जाम नहीं
पहले जैसा मुझको अब आराम नहीं
दिन तो कट जाता है काम हज़ारों है
मसला तो रातों का है, कोई काम नहीं
उसकी सूरत आँखों में जिंदा है पर
उसके लब पर यारों मेरा नाम नहीं
रात चली आती है दिन के ढलते ही
मेरी किस्मत में इठलाती शाम नहीं-
राज़ अपना खुल गया है यार अब
क्यूँ भला डरना यहां बेकार अब
इक दफा छुपकर मिले बाज़ार में
हो गया किस्सा भी ये बाज़ार अब
किस लिए तुम देखती हो आईना
क्या तुम्हें मुझ पे नहीं एतिबार अब-