"अपनत्व"
बहुत ही अनमोल व अदृश्य सी वजनदार चीज होती हैं...
जिसका भार उठाने का सुअवसर कभी-कभी जाने-अंजाने,
कमजोर कंधों पर आन पड़ता हैं...
किंतु वे कंधें उस भार को सहन नहीं कर पाते...
क्यों...?
क्योंकि कुछ कंधें,
अहम् ,वहम् और अपने ही हल्केपन का भार
वहन करने में निपुणता जो प्राप्त किए हुए होते हैं...!!!-
ये जो तुम मेरी..
हाल चाल पूछते हो,
बड़ा ही मुश्किल
सवाल पूछते हो..!!!-
कि है मैंने कुछ नादानियां इसीलिए चुप हूं।
जिंदगी मैं दर्द ही दर्द है इसीलिए चुप हूं।
सुबह से शाम सवालों के पहाड़ है मुझ पर इसीलिए चुप हूं।
सभी लोग पूछते है वजह मेरी ख़ामोशी की..
किसी को बताया तो आएगा तेरा नाम सामने इसीलिए चुप हूं।।-
शीतल से ह्रदय में दृढ़ता का जगाए रखा हैं तूने ही शोला,
वरना तो मेरी क्या मज़ाल हैं कि तेरी इच्छा के आगे जाउं मेरे भोला।-
ज्यादा मिलने से गम मिलते हैं
इसीलिए
हम हर किसी से कम मिलते हैं-
सोचा था कुछ और,
लेकिन हुआ कुछ और
इसीलिए
ये भुलाने के लिए चले गए शराब की ओर-
लोग प्यार के लिए
अपनी जान की बाजी लगा रही है,
क्या जिंदगी इतनी सस्ती है...?-
मेरे साथ क्यों अच्छा होता है? क्योंकि मैंने अपना सारा समय अपने लिए अच्छा करने में लगाया है नाकि दूसरों का बुरा करने, दूसरों के लिए बुरा सोचने या दूसरों से जलने में वक्त गंवाया है।
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*ज्ञानियों* को तो महज़,
अपने ज्ञान से हमारी *हर बात* काटनी है।
अब उन्हें कैसे बताये?
कि हम तो उस *जुगनु* की तरह है,
जिसे अकेले *स्याह रात* काटनी है।-