इंतेज़ार के बाद दिल बेताब सी हो रही है खुद सर्मा कर आँखे नजरे चुरा रहे है दिल के धङकन हलचल सी मचा रही है घूंघट के पीछे दिलबर का दीदार अधूरा लग रहा है जबतक ना पड़े उनके नज़र ये शिंगार अधूरा लग रहा है बैठे है दो अनजाने बाते दिल से हो रही है सितारों से सजाई हुई महफ़िल ये बोल रही है
फूलों की तरह बागियों में खिलना पसन्द है, बवुरे की तरह उसके कान में गुनगुना पसंद है, देख उसको चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आ जाती है, ये दिल खुद में ही काबू नहीं रहता मेरा, हर दर्फ़ उसको ही चाहने को दिल चाहता है।
घाव बहुत से देखे मगर, मुहब्बत सा घाव नहीं देखा होगा पीपल बरगद के वृक्षों ने भी माँ के आँचल सा छाँव नहीं देखा होगा और इस उम्र में मूँछ बढ़ाते बहुतों को देखा होगा आपने मगर किसीकी मूँछो में मेरी मूँछों सा ताव नहीं देखा होगा