QUOTES ON #अश्क़

#अश्क़ quotes

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7 JAN 2022 AT 12:37

प्रेम में पागल लड़के
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कविता अनुशीर्षक में पढ़े...

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5 MAY 2020 AT 21:39

मैं कहाँ जानता था अश्क़ हैं खारे
तेरे बाद जो होठों पर आने लगे

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4 MAY 2018 AT 19:52

अब! अश्क़, हमारी आंखों से, बूंद बन गिरने लगें है।
मुंतजि़र, बन गये है हम, तेरी याद में,
अब दिल भी हमारे, बिखरने लगें है।।

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18 JUL 2018 AT 18:52

सुबह की रोशनी में, निगाहों को सज़ा के,
अपने अश्क़ तो, छुपा लेते हैं।
वो, खुदा ही जानता मेरा, कि रात की तीरगी में,
तेरी तस्वीर को, सीने से लगा के, कितने, अश्क़ बहा देते हैं।।

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4 JUN 2022 AT 15:11

बनकर एक ओस की बूंद
एक अश्क़ यूँ ही आँखो से
छलका देता हैं हम जोड़ते
रहते हैं उन अश्क़ो को उन
धागुओ से और एक बिखरा
मोती हैं जो पल में टूटकर
बिखर जाता हैं ये नयनो से
जाने क्यूँ इतना नजरे चुराया
करता हैं !!!

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24 OCT 2018 AT 23:41

बंद आँखों से भीे अश्क इतने बह गऐ..
नींद मे आए भी सपने धूल गऐ...

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ये चाहतों का सिला हैं
किसी को ज्यादा किसी को कम मिला हैं!

तुम बने रहो आँखो का काजल
इन आँखो को तो बस अश्क मिला है!

खुशनसीबी हैं तुम्हारी जो तुम्हे खुशी
किसी और को गम मिला है!

जश्न बनाओ, दुआये तुम्हारी हुई कबूल
इस‌ ज़ख्मी परिंदे को फिर तीर मिला हैं!

यूं सूकून नहीं किनारो पर, छलके जब अपने नीर
तब समझ आया इनको भी बहुत पीर मिला है !

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10 JAN 2021 AT 17:01

अश्कों के समुंदर में नहाए हुए हैं,
लाख सितम दिल पर खाए हुए हैं,
नम आंखों की मासूमियत भी चीख पड़ी,
नमक इश्क़ का जो ज़ख़्म पर लगाए हुए हैं....

शाम का शामियाना फिका हो गया,
महफ़िल भी अब राज़ आती नहीं है,
कुछ बाते दिल की अब इस दिल मै रहे तो बात है,
मुहब्बत भी कुछ लोगो ने बाजारू कर दिया....

अश्कों के बारे में पूछा जो उसने हम भी लिखने बैठ गए,
कुछ घाव है जो छिपाए हुए है,
और कुछ अश्को मे पिरोना सीख गए...

अजनबी सा रिश्ता हो गया
अजनबी एहसास है,
ना कोई बंदिश ना कोई शिकवा,
और ना ही इस रिश्ते के लिए अल्फ़ाज़ है....

रब करे जो कभी कबूल हो दुआ हमारी,
तू बस खुश रखना उसे जो हमारे ज़िन्दगी में ख़ास है...!!

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9 JUN 2020 AT 1:07

हल्का हो जाता है मन
गर वह जाए अश्क़
या लिख लूं आपबीती
इसीलिए,
रोक लेती हूं अक्सर
पलकों से आंसू
और हाथों से कलम
क्यूंकि,
अच्छा लगता है मुझे
कसक के साथ ज़ीना.....
हां,
पसंद है मुझे
दर्द के साथ जीना.....

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31 MAR 2021 AT 17:57

स्त्रियांँ संभालती हैं
घर आंँगन परिवार
सहेजती हैं
और कभी
अपने आंँसूओं से
द्रवित भी कर देती हैं
निभाते हुए अपने कर्तव्य
बन जाती हैं
कभी दुर्गा..

और पुरुष
संभालते हुए
घर बाहर
निर्वहन करते हैं दायित्वों का
परंतु छिपा कर अपने आंँसू
अपनों से..
बन जाते हैं
कभी शिव..

शायद इसीलिए रुद्राक्ष दुर्लभ होते हैं...!!

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