QUOTES ON #अशोककुमारकौशिकशोक

#अशोककुमारकौशिकशोक quotes

Trending | Latest
3 MAY 2020 AT 21:46

आपकी टिप्पणी ने
आपके प्रति मेरे
विश्वास को सुदृढ़
किया है!

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2 APR 2020 AT 17:53

तक़ाज़ा वक़्त का था किस्सा त्रिकोण
इंतेजार वर्षों करा कर,
पूछते हो हम आपके हैं कौन ?..🍃🌾

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22 MAR 2020 AT 21:40

गम दे कर दीदार करना, वफ़ा दिखाने आया आज हैं
खैरियत पूछना तो बहाना हैं ,रुलाने आया आज हैं...🍃🍁

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9 MAR 2020 AT 19:22

अनजान अनजाने डगर वो लूट मुझ को चल दिया,
जब तक पता चलता मुझे झट कूद के वो चल दिया,

चुपचाप चलती रह गई मैं रूठ कर वो चल दिया,
नज़रें नशीली से कलेज़ा भेद कर जो चल दिया !
#अशोककुमारकौशिकशोक 09/03/20, 1607

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15 APR 2020 AT 21:24

वो भी दिन थे, तेरी एक झलक पाने को बेचैन रहते थे,
एक वक़्त गुज़र गया ख़्वाब में भी यों दीदार नहीं होता!

देखना तो दूर तेरी आवाज सुने इक ज़माना गुज़र गया,
अब तेरी तस्वीर को मुझ आईने का इंतजार नहीं होता!

संवरती नहीं तुम मेरी आहों में कराहों में संगदिल अब,
अब इस काया की साँसों में तेरा कारागार नहीं होता!

इन्तेज़ा की गुज़रती चली गई कई उम्र तेरी महफ़िल में,
'शोक' से संगतराश का कभी कोई परिवार नहीं होता!

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24 JUL 2020 AT 9:40

प्रीत सागर कितने खारे गागर हो गये,
तेरी आँखों की गहराई नाप न पाये!

जब भी झाँका तेरी बरसाती नज़रों में,
सफ़ीना मेरे इश्क़ की हिचकोले खाये!

#अशोककुमारकौशिकशोक 24/07/20, 0936

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4 MAY 2020 AT 16:13

तेरे दिल में बसु कुछ इस कदर




तु एक पल भी दूर ना रह
सके मेरे बगैर

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29 FEB 2020 AT 18:11

कल अचानक बिन-जाने, कुछ ऐसा घटित हो गया
कि दिल, दिमाग, काया और रूह सब स्तम्भित से,
ठगे से रह गये थे और रात भर उसके अलफ़ाज़ मुझसे,
मेरे आरमानों से खेलते रहे!
लगा कि उसके अलफ़ाज़ नहीं,
बल्कि वो सशरीर रातभर मेरे साथ,
मेरे आगोश में, मेरे बिस्तर में, पल-पल मेरे साथ थी!
सुबह मेरे बिस्तर की हजारों सल्वटें,
उसकी मेरे बिस्तर में मौजूदगी की गवाह थी!
मैं समझ नहीं पा रहा कोई इतनी दूर से कैसे आकर,
रात मेरे साथ गुजार कर वापिस लौट सकती है!
इस अहसास का वरण तभी हो सकता है,
जब उसे भी अहसासों की उसी तपिश ने छू लिया हो,
जो मुझे भी सम्मोहित कर अवश कर गई है!
कैसे कहूँ उससे कि पहली बार किसी ने,
अपने अलफ़ाज़ की छूअन से मदहोश कर दिया है,
दिल करता है कि उसकी तस्वीर को देखता रहूँ!
उसके अलफ़ाज़ को पढ़ते हुए उसे पढ़ता रहूँ!
बस उसी क्रम में कुछ लिखने की कोशिश की है!
शायद..... उस तक .... !!!

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8 DEC 2020 AT 10:54

जेठ माह में मेंह सा बरसता तेरा उन्स, मेरी रूह की जलन हरता है,
तोता-मैना सी तिलिस्मी बोली, मेरी दिलफ़रेब आत्मकथा लिखता है।

तेरी मगरूर हसरत की राह, नाकाम साजिशें महक-महक लिखता है,
बन मेरे लिए द्रौपदी सखा सा, हर पीर सुदर्शन-चक्र सा निपटता है।

मीरा के प्राणाधार सा, मैं सोऊँ या जागूँ मुझे रक्षित करने को जगता है,
तुझे छूके आता समीर-झौंका, आलिंगनबद्ध कर मुझे महका जाता है,

रगं दूँ चाहे रक्तलोचन से या भीगो दूँ स्नेह सिक्त अश्क मंजरी से,
जाये न कहीं मेरी कामना वशीभूत, मेरी आँखों में अड़ा रहता है।

रूठ जाऊँ जो कभी खाए न पिए, मेरी टहल हर सू खड़ा रहता है,
स्वप्निल पलों भी मेरा अंकशायी, काम-शत्रु मुझमें उद्गमित रहता है।

मेरा राज खुले न किसी पर मेरी लोचन में रह, अदृष्ट हर नज़र रहता है,
'शौक' के दिल की हर मुराद बिनकहे, जाने किस विधि पूरी करता है।

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21 MAY 2020 AT 21:55

नारी है ममत्व का एक झरना
इसका अपमान कभी ना करना

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