QUOTES ON #अलहदा

#अलहदा quotes

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8 JUL 2020 AT 9:38

खिलखिलाती एक तस्वीर उकेरी थी, मिट गई
जाते कदमों के निशान दूर तलक थे, मिट गए।

वक्त लहर ही तो है, जिंदगी भी रेत हुई जाती है।

#त्रिवेणी

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22 FEB 2021 AT 12:59

जुदा सी हो गई हूंँ मैं...

आजकल कुछ जुदा सी हो गई हूंँ मैं,
जाने क्यों कुछ अलहदा सी हो गई हूंँ मैं...

उम्र केे बसंत देख लिए हैं चालीस फिर भी,
खुद को नव यौवना सी महसूस कर रही हूंँ मैं....

ख़ुद के लिए नए सिरे से कुछ कर गुजरना है,
अरमान ये अनोखे से जगाने लग गई हूंँ मैं....

जिम्मेदारियाँं थी जिनकी,निर्भर थे जो मुझ पर ही,
उन्हें उनके काम सीखाकर, मुक्त सी होने लगी हूंँ मैं....

अपने कुछ अदद प्यारे लोग भी विस्मित है देख मुझे....
सोचते हैं इस उम्र में बाँवरी सी होने लगी हूंँ मैं..!

मैं भी सोचुंँ....
अपने सपनों के लिए जीने की भी कोई उम्र होती है भला..?
मानकर अपने मन की,उन बातों को दरकिनार करने लगी हूंँ मैं!!

थामकर लेखनी हृदय को पन्नों पर उकेरने लगी हूंँ मैं,
अंतर्मन की खुशियों और दर्द को शब्दों में उंडेलने लगी हूंँ मैं....

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8 JUL 2020 AT 12:16

Betrayal is like moisture,
The crisp will be gone,
Taste will be lost

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8 JUL 2020 AT 11:51

वक़्त गुज़र रहा था,
हमें लगा वक़्त बदल गया है
पुराने दोस्तों से मिले, यकीं आ गया।

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19 JUN 2020 AT 8:34

कभी थे तुझ पर फिदा आज अलहदा ही ठीक हैं,
कभी थे बेहद वफादार आज बेवफा ही ठीक हैं,
था एक वक़्त जब कहते थे- चलते हैं फिर मिलेंगे,
आज कहने के लिए तुमसे बस अलविदा ही ठीक है.

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11 JUL 2020 AT 10:33

दूसरों की कालीन से बेहतर अपनी ज़मीन होती है।

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10 JUL 2020 AT 7:18

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11 JUL 2020 AT 1:00

Where there is love
There is hope, And courage...
A little insanity,And innocence...
Soulful purity,Senseible nonsense...
And also...
There are embracing devils...
fear of being alone, of loosing...
Devils, which sometimes make you weak...
Weak enough, to give up your fight...
Weak enough, to make the choice!

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23 DEC 2020 AT 21:35

न कोई वाह वाह लूटी है कलम से न कोई शोहरत कमाई है
बस इस दर्द की महफ़िल में एक अलहदा पहचान बनाई है

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22 JUL 2020 AT 21:35

~•••ख़्वाबीदा•••~
°•°°•°°•°°•°°•°
कुछ ग़मगीन सी... कुछ ग़मज़दा सी
है दरमियां सबके फिर भी गुमशुदा सी

तलाश खुद की करे तो करे भी कहाँ
वो खुद ही है... खुद से.. जुदा सी

बड़ा ही मुश्किल है उसे आंँखों से परखना
मासूम चेहरा और सोच सबसे अलहदा सी

ग़ुज़िस्ता बेदर्द लम्हों में ही है उल्झी हुई
चश्म तो चश्म मिज़ग़ा भी है नमदीदा सी

मयस्सर है उसे दुनिया की सारी लग़ज़िशें
पर वो अन्जान जगह की ख़्वाहिश लिए ख़्वाबीदा सी।

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