देखा है अकसरहा ... मैने दायरे में सिमटे हुए रिश्तो को सिसकते छटपटाते हुए... इसलिए अपने एहसास को कभी रिश्ते में नहीं बांधा.. रहने दिया तुम्हे वैसे ही तुम जब मिले जैसे मिले ... रहने दिया अनकहा..
जब मैं खामोश हो जाऊ एकदम। जब मैं कुछ ना कहूं एकदम। तुम्हारी हर बात अनसुनी कर दूं । तुमको अनदेखा कर दूं । हो सकता है कुछ टूट रहा हो मेरे दिल में । हो सकता है कुछ पीछे छूट रहा हो मेरे दिल में। थोड़ा रुककर,मेरे लिए। थोड़ा ठहरकर,मेरे लिए। मुझे बस उस वक़्त संभाल लेना तुम। मेरी थोड़ी परवाह कर लेना तुम। गले ना सही बस हाथ पकड़ कर मेरा तुम । मुझे से बातें चंद कर लेना तुम। मैं हूं तुम्हारे लिए बस इतना सा कह देना तुम। मेरा थोड़ा ख्याल रख लेना तुम। मेरी खामोशी को पढ़ लेना तुम मुझे थोड़ा सा प्यार कर लेना तुम।