मैं नहीं लिखूँगी मरता भारत
मैं नहीं लिखूँगी पैदल चलता भारत
मैं नहीं लिखूँगी हाथ मलता भारत
सड़कों पर जन्म लेकर सड़क पर पलता भारत
मैं नहीं लिखूँगी..-
सूर्य,चंद्र,रघु,भरत इस धरा के वंश है..
मातृरूपी सहस्त्र भाषा संस्कृत अपभ्रंश है..
काल रूपी महासेना करे अरिदल विध्वंस है..
जगतपूज्य गणतंत्र भारत हम उसी के अंश है..-
*भिष्म*
सकल मनोरथ की अभिलाषा,महत्वकांक्षा या जिज्ञासा..
दुर्योधन ने ना माना प्रस्ताव, समर मतवाले की मीमांसा..
थे भूतल पर शव अनेक, अभिमन्यू,कर्ण, गुरू द्रोण देख..
क्या अब भी प्रायश्चित है मन में,क्षण भर बचे इस जीवन में..
कह दे की बुध्दि अमूल हुई.. समय की आँधी प्रतिकूल हुई..
वो हाय अभागा कुरुवंशी, जिससे बड़ी ये भूल हुई..
जिसने हस्तिनापुर के आगे, पिता का पहले हित रखा..
दासराज को जो दिया वचन,आजीवन मर्यादित रखा...
हे महान योद्धा, हे भरत वंशज माता गर्व से कहती है..
हो ना पुत्र तुम जैसा कोई भर नैन द्रव से कहती है..
वो गंगापुत्र देवव्रत बाणों की सैय्या पर दम लेता है..
थी प्रतिज्ञा 'भिष्म' जिसकी वो एक बार ही जन्म लेता है..-
' साली आधी घरवाली' यह एक वाहियात व्यक्ति की सोच है।
यह मानता हूं की मजाक का रिश्ता है,
पर ऐसी गंदी नजर से नहीं बल्कि सम्मानजनक नज़र से देखो वह भी किसी की बहन है।-
सिंधु सतलुज यमुना गंगा इस धरा के वंश है..
मातृरूपी सहस्त्र भाषा संस्कृत अपभ्रंश है..
काल रूपी महासेना अरिदल कर विध्वंश है..
जगतपूज्य गणतंत्र भारत हम उसी के अंश है..-
यादों की महफिल से वापस लौट आने की जरूरत है,
इक बेवफ़ा की यादों से ख़ुद को बचाने की ज़रूरत है।
जिन निगाहों में न तेरी कमी, न ही दिल में खोने का मलाल,
उस बेरहम, हरज़ाई को तो बस भूल जाने की जरूरत है।
ख्वाबों की दुनिया में जो जी रहे हो हर पल - हर घड़ी,
मुकम्मल इक ख्वाब के लिए रातों की नींद उड़ाने की जरूरत है।
मसरूफ़ियत के इस दौर में सुकून ढूंढ रहे जाने कहाँ-कहाँ ,
कुछ नहीं बस माँ की गोद में सिर रख, सो जाने की जरूरत है।
याद आ जायेंगी फिर से बीते बचपन की सब वो कहानियां,
अबकी सावन में कागज की कश्ती दौड़ाने की जरूरत है।
छोटी - छोटी बातों पर अपनों से रूठकर बैठ जाते हो तुम ,
समझोगे दर्द उनका भी, बस खुद से रूठ जाने की जरूरत है।
हकीमों और वैद्यों का भी चलता नहीं क़ाबू जिस पर,
उस इश्क़ नाम की बीमारी से खुद को बचाने की जरूरत है।
गरीबी का दुःख-दर्द समझेंगे सियासत के पुतले भी,
सियासत को संसद छोड़ सड़कों पर आने की जरूरत है।
शायद हो जाए सरहद पर तनाव कम हमेशा के लिए ,
हिन्द-पाक को फिर से अतुल्य भारत बनाने की जरूरत है।
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भारत हमारी, है शान
भारत से ही, है हमारी पहचान
भारतीय होना, है हमारा अभिमान
संतो की भूमि, है करती दुनिया गुणगान
अनेकता में एकता ही, है भारत की जान
धर्म और संस्कृति का, फैलाया पूरे विश्व में ज्ञान
पहुंचा है नए आयाम में, लेके तकनीकी और विज्ञान
बढ़ता रहे और समृद्ध रहे, मेरा प्यारा भारत देश महान
है सारी विशिष्टताएं एक साथ,नहीं कोई इसके समकक्ष
है मेरा " अतुल्य भारत" देता गवाही इसका इतिहास प्रत्यक्ष।-
अनेकता में एकता की शान है
युगों-युगों से संस्कृति की मिसाल है
यही अतुल्य भारत की पहचान है
हिमालय ने ताज सजाया जहां
खेत खलिहानों का श्रृंगार है
कल कल बहती गंगा जमुना
यही अतुल्य भारत की पहचान है
आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
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__"मेरा भारत"__
भारत हमारी, है शान
भारत से ही, है हमारी पहचान
भारतीय होना, है हमारा अभिमान
संतो की भूमि, है करती दुनिया गुणगान
अनेकता में एकता ही, है भारत की जान
धर्म और संस्कृति का, फैलाया पूरे विश्व में ज्ञान
पहुंचा है नए आयाम में, लेके तकनीकी और विज्ञान
बढ़ता रहे और समृद्ध रहे, मेरा प्यारा भारत देश महान
है सारी विशिष्टताएं एक साथ,नहीं कोई इसके समकक्ष
है मेरा " अतुल्य भारत" देता गवाही इसका इतिहास प्रत्यक्ष।-