अंधा कौन????
सम्पूर्ण कविता अनुशीर्षक में,
हमेशा की तरह इस बार भी ,
आपके स्नेह का आभारी रहूँगा।-
रहा होगा प्यार अंधा किसी ज़माने में,
अब तो प्यार भी पैसा निहार लेता है।-
जब लगती है आँख तो तुम दिखाई देती हो
शायद इसी को कहते हैं इश्क़ में अंधा होना-
कहते हैं कि दो अंधे लोग,
एक दूसरे को रास्ता नहीं दिखा सकते।
लेकिन दो बहरे लोग
एक दूसरे को सुन जरूर सकते हैं।-
सच को झूठ, बनते देखा हमने अंधे काननू को सच की आँखो मे धूल झोकते देखा
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मैं तो तुम्हारी आंखों से दुनिया देखना चाहता था
पर तुमने तो मुझे सच में अंधा समझ लिया।-
मेरी बात सुन यारा सच्चा प्यार
है तुमसे मैं कर रहा प्यार
में तुझसे कोई
धंधा नहीं ।।
तेरा वहम है की ज़माने को कुछ
दिखता नहीं ये ज़माना है
मेरी जान कोई
अंधा नहीं।।
अरे माना मेरे बारे में बहुत
गलतफहमियां
पाल रखी
है तूने..
आंखों से देखेगी तो लगूंगा दिल
फेक यारा ज़रा पास आके
देख मेरे जैसा कोई
बन्दा नहीं ।।-
मंजिल कि तलब में अंधा भागा, हर अज़ीज मुझसे रूठ गया,
आगे बढ़ जाने की जल्दी में, ना जाने क्या क्या पीछे छूट गया।-