Mere kuch sawaal hai Jo Qayaamat ke raat puchugi tumko....
Kyunki
Usse pehle
Meri or tumari baat ho... Us layaak nahi ho tum ....-
Being a "sakht" outside
Use to say "Pr m pighal gya"!
Cause deep down they know
That they are just like "coconut"
"Bahar ce" hard "Andar ce" soft.-
थोड़ा देर से चला हूं मैं, अभिषप्त सा पड़ा हूं मैं, अभी खुद से कुछ दूर खड़ा हूं मैं ।
वक्त के किसी भंवरों में घुमा हूं मैं,
खुद की ऊंचाई से भी थोड़ा नीचे दबा हूं मैं,
अभी शायद अपने वजूद के कुछ पीछे खड़ा हूं मैं
थोड़ा देर से चला हूं मैं, अभिषप्त सा पड़ा हूं मैं, अभी खुद से कुछ दूर खड़ा हूं मैं ।
आज भी बस उस बूढ़े कंधे के साए में पडा हूं मैं,
किसी सफलता की राह देखती बंजर जमीन में खड़ा हूं मैं,
इस अस्तित्व की जंग में अब खुद का भी नहीं रहा हूं मैं,
थोड़ा देर से चला हूं मैं, अभिषप्त सा पड़ा हूं मैं, अभी कुछ दूर खड़ा हूं ।
---------------------------------------------------------------------
माना थोड़ा देर से चला हूं मैं, अभिषप्तभी रहा हूं मैं, पर फिर भी निरंतर बढता रहा हूं मैं
भंवरों को तोड़ गहराइयों की नींव भर दूंगा
जो पीछे रह गया वजूद उसमें सूरज का कर दूंगा
सरपरस्ती अपनों के छांव की करूंगा
नहीं बंजर सब कुछ खुशहाल करूंगा
अस्तित्व फिर इस अनुभव के जोड़ दूंगा
बस नहीं कोई मलाल छोडूंगा ।।-
मैं शून्य पे सवार हूं ||
मैं शून्य पे सवार हूं ||
बेअदब सा मैं खुमार हूं ,
अब मुश्किलों से क्या डरूं ,
मैं खुद कहर हज़ार हूं |
मैं शून्य पे सवार हूं ||
के ऊंच-नीच से परे ,
मजाल हु आंख में भरे ,
मैं लड़ पड़ा हूं रात से ,
मशाल हाथ में लिए |
न सूर्य मेरे साथ है ,
तो क्या नहीं यह बात है ,
वह शाम को था ढल गया ,
वह रात से था डर गया ,
मैं जुगनुओं का यार हूं |
मैं शून्य पे सवार हूं ||-
Mere kuch sawal hain jo sirf
KAYAMAT k roz puchungi
Tumse
Kyunki usse pehle tumhari meri
Bat ho
Is layak nahi ho
TUM-
Har ek dastoor se be-wafai,
Maine shiddat se hai nibhai.
Raaste bhi khud hai dhundhe.
aur manzil bhi khud banai.
Zakir Khan-