उम्र के उस पड़ाव में मुझे तुम छोड़ गयी,
मेरे जीने का राज तुम खोल गयी,
कद्र ना की ताउम्र तुम्हारी,
अब उम्र कटती नहीं तुम बिन हमारी
जीवन खर्चा पैसे कमाने में,
वक्त ना दिया तुम्हारे साथ बिताने को,
याद आता है जब तुम कहती थी,
चली जाऊँगीं तुम्हें तब तुम समझोगे,
हाथ मलोगे पर तुम वक्त के हाथों छलोगे,
बड़ा अभिमान था मुझको खुद पे,
अब एक निवाला भी मुझपर भारी है,
तुम बिन जीवन दुश्वारी है,
कदर कर रहा हूँ तुम्हारे जाने के बाद,
काश इस वक्त तुम होती मेरे साथ।
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