अपनों के बदल जाने का गम
मेरे खुद के टूट जाने से कम है,
जब वक्त आजमाने पे आयेगा
तब पता चलेगा किसमे कितना दम है,
स्वयं को आंकना तुम कम करो
उठती हुई उंगलियों की परवाह अब कम करो,
धीरे ही सही तेरी मंजिल नजर आयेगी
आज नहीं तो कल तेरी हस्ती समझ आयेगी,
शीशा एक ना एक दिन टूटना ही है
सपने हैं कहीं तो सिमटना ही है
टूटकर शीशे की तरह नहीं बिखरना चाहता
मोम बना दे पर पत्थर नहीं बनना चाहता
समझौता भी कभी जिंदगी के लिए जरूरी है
हासिल हो चाहे खोना ही मजबूरी है
वक्त और किस्मत को यूं ना आजमाओ
सोच लो जिंदगी की भी कोई मजबूरी है
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