nature☘️ king🙏   (Ehsas Mere🥀(अकेला))
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Joined 25 January 2019


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Joined 25 January 2019

तुम्हें खोने का गम
सच कहूं अगर
ज्यादा नहीं सोचता मैं
बस ढूंढ लेता हुं
इन दिल की गहराइयों में
वो दिल को लुभाती बातें
जो मेरे हर नज़्म पर
तुम मुस्कुराते लबों से कह गई थी
क्या इसलिए
कि जब तुम न हो
तो ये बातें
दिल का एहसास बन
इन पन्नो को और नुमाया कर देगी

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5 MAY AT 16:27

खास था वो बचपन मां के आंचल की छांव में
फिक्र ना थी कुछ कम या ज्यादा की
ना गम था कुछ पाने या खोने का
जाने कब ये सफर इस मुकाम पर आ गया
है बहुत कुछ कहने सुनने को इस मन में
पर दिल सोचता है किससे कहूं कैसे कहूं

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4 MAY AT 20:26

वजह कुछ तो है इस तरह अक्श में शामिल हो जाने की
नजरों से गुजरता हर इंसान यूं दिल पे काबिज नहीं होता,
ना नजरों ने कभी दीदार किया है उनका
ना छवि कभी नजरों में कैद हुई है
फिर भी काबिज हैं मुझमें वो
शायद सादगी के तीर का घाव गहरा होता है

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3 MAY AT 21:14

मेरे शब्दों में तेरा ज़िक्र हो ना हो
अक्श तेरा शामिल नजर आता है,
ढूंढ लेना शब्दों में खुद को कहीं तुम
ना मिलो तो दिल को अपने टटोल लेना

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28 APR AT 1:01

आज फिर से लिखूंगा तुझको नज्मों में
अजनबी कहूंगा कभी अपना कहूंगा
गीत कहूंगा कभी अल्फाज कहूंगा
या रुकूंगा, सोचूंगा कुछ नया अटपटा सा
फिर यादों के आकाश से टूटता तारा कहूंगा
जो नजरों के सामने से गुजर रहा है तन्हाई में
मानो कह रहा हो मुझसे किस सोच मे खोए हो
मैं तो हूं अब भी तेरे मन्नत के हर एक शब्द में

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27 APR AT 1:25

अपनों के बदल जाने का गम
मेरे खुद के टूट जाने से कम है,
जब वक्त आजमाने पे आयेगा
तब पता चलेगा किसमे कितना दम है,

स्वयं को आंकना तुम कम करो
उठती हुई उंगलियों की परवाह अब कम करो,
धीरे ही सही तेरी मंजिल नजर आयेगी
आज नहीं तो कल तेरी हस्ती समझ आयेगी,

शीशा एक ना एक दिन टूटना ही है
सपने हैं कहीं तो सिमटना ही है
टूटकर शीशे की तरह नहीं बिखरना चाहता
मोम बना दे पर पत्थर नहीं बनना चाहता

समझौता भी कभी जिंदगी के लिए जरूरी है
हासिल हो चाहे खोना ही मजबूरी है
वक्त और किस्मत को यूं ना आजमाओ
सोच लो जिंदगी की भी कोई मजबूरी है

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25 APR AT 8:25

मैं चल तो रहा हुं मगर कब तक चलूंगा
बढ़ता तो रहूंगा जब तक राह दिखेगी
मगर वक्त थम गया तो फिर किधर जाऊंगा,

कभी ना कभी तो ये पांव भी थकेंगे
तब सहम जाऊंगा या थम जाऊंगा
पर राह छोड़ भाग तो नहीं जाऊंगा,,

रास्ते तो बहुत हैं गर देखो तो
पर मुश्किलों की आड़ में
घर से निकलना भूल तो नहीं जाऊंगा,,

जरूरत पड़ी अगर जिंदगी की
उन जरूरतों के वास्ते एक दिन
अपने सपनों का आशियां तोड़ जाऊंगा,,

किसी ने पूछा क्या चाह है तेरी
रुकूंगा मुस्कुराऊंगा फिर
मां की कदमों में अपनी मंजिल बता जाऊंगा

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18 APR AT 1:16

इस दिल में छुपे दर्द को समझ सके
वो इंसान कहां से लाऊं
खो गया है जो शख्स राहों में कहीं
उसकी पहचान क्या बताऊं
कहने को लफ्ज़ कई हैं सीने में छुपे
कह कर आम क्यों बनाऊं
लिख तो दूं कोरे कागज़ पर अक्षरशः सबकुछ
सुकून फिर भी ना मिले तो नुक्शा क्या आजमाऊं

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15 APR AT 1:20

खास हो तुम दुनिया में सब से ज्यादा
तुमसे भी प्यारा,सुमुखी व्यवहार तुम्हारा
आंखों देखी बात नहीं है ये सब
महसूस हुआ है हर पल प्यार तुम्हारा
यादों को टटोल कर पलकें नम हुई हैं
प्रिय याद तुम्हारी फिर आई है,,

याद है मुझे हर वो पल
गुजरे थे जो साथ तुम्हारे
वक्त का वो प्यारा सा सुनहला आंचल
वो पहले मुलाकात का मीठा एहसास हमारा
वक़्त ने ली,आज फिर फिर यूँ अंगडाई
प्रिय याद तुम्हारी फिर आई है,,

तेरे लफ्जों की वो भीनी खुश्बू
अब तलक मेरे मन में महक रही है
तेरे होने के अनोखे एहसास से
मन की बगिया भी महक रही है
आज फिर वही हवा,खुशबु तेरी साथ ले आई
प्रिय,याद तुम्हारी फिर आई है,,

याद तुम आती हो हर पल
हर पल बस तुझको ही सोचता हुं
तेरे यादों को संजीता रहता
तेरे बातों से ही संवरता हुं
एक नहीं ऐसा पल जब तन्हाई में साथ तुम ना आई हो
फिर कैसे कह दूं याद तुम्हारी फिर आई है
भुला ही कहां कभी वक्त के साथ तुझको
जो कह सकूं प्रिय याद तुम्हारी फिर आई है ।

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8 APR AT 0:56

सोचा आज खुद पर खुद ही कुछ लिखते हैं
बहुत पढ़ लिया दुनिया को वक्त की आंखों से
हालातों की आंखों से खुद को भी पढ़ते हैं ।

पहला पन्ना राम का तो राम के नाम से शुरुवात करते हैं
उलझन में उलझ पढ़ने की पहली भूल का आरंभ करते हैं

बहुत सारे अध्याय हैं इसमें
एक चेहरे पे ना जाने कितने रंग गहरे हैं
इसमें पंडित भी है कवि भी है
अंधेरे को चीरती एक छवि भी है
कभी हंसाता है,कभी रुलाता भी है
कभी ज्ञान की बातें बताता भी है
ये सब समझता है,खामोशी से सोचता भी है
विचारों के हल से बंजर दिमाग को सींचता भी है
कह नहीं पाता है या चुप रहता है
राम जी के हाथों सब छोड़ता भी है,
सुनता है सबकी अपनी कहता नहीं है
पूछो गर हक से चुप रहता भी नहीं है

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