कि एक दीदार तुम्हारा करने की उल्फ़त में
हमने सारे जमाने से अपनी नजरें कैद कर रखी हैं...!!
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इक नजर से देखूं, नजर भर के देखूं,
कभी बैठो पास मेरे, तुम्हे मैं दिल भर के देखूँ !!
दिल -ए- तमन्ना है कि दीदार तुम्हारा हो,
आओ कभी शहर हमारे, तुम्हे मैं पलकें मूंद के देखूं !!-
उसकी नज़रें झुकें तो कमाल करती हैं,
और उठे तो कत्ले हज़ार करती हैं|
हमारे दिल पर क्या बवाल करती हैं,
और तू खुद कितनी बेमिसाल लगती है|-
ऐ वक़्त, जऱा सँभल के चल,
कुछ बुरे लोगों का कहना हैं की
तू सबसे बुरा हैं।-
आखिर में जब उसने कहा संभलकर जाना।
फिर अचानक से उसके बिछड़ने का एहसास हुआ।
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अपनी निगाहों का रूख जरा मोड़ो तुम ,
महफ़िल इस गरीब पर उंगली उठा रही है ..!-
मिजाज-ए-इश्क़ में जो मोहब्बत की आवाज होती है,
यही इस रिश्ते की सौगात और खास बात होती है।
जनाब अब हाल-ए-दिल क्या बयां करे.....
मोहब्बत में लबो से बोलने की दरकार नही होती,
यहां तो नज़रो से कत्ले-ए-आम और दिलो से बात होती है।-
एक लहर से सब धूल गया
और वो कस्में, वो वादे, वो प्यार
वो भी तो वो सब भूल गया ।-