प्यार - मोहब्बत, अब फिल्मी बातें लगती हैं
चांद से रोशन , अब सूनी रातें लगती हैं ।। ।।-
लिखता नहीं हूं,
बस जिंदगी को कुछ कोरे पन्नो पर उतार देता हूं ।। ।। read more
दुनिया मै हजार हसीं चेहरे हैं
देखने को ,
हैरां हूं नौजवानों पर , जो
अभी से मोहब्बत कर बैठे ।। ।।-
मैंने काफी बार देखा है
किसी एक की मोहब्बत , किसी
दूसरे की किस्मत से हार जाती है ।। ।।-
मै चीख रहा हूँ ,
तुम मौन हो !!
हम दोनो जिये जा रहे हैं ।।
किन्तु ,
कदाचित
मेरी चीख अब प्रतिदिन मौन हो रही है ,
तुम्हारा मौन अब प्रतिदिन चीख रहा है !
हम दोनो प्रतिक्षा मै हैं ,
अगले जन्म की ।।
अहो !
नियति निष्ठुर है ,
किन्तु प्रेम शाश्वत है ।।
तुम और मै शाश्वत का ही भरोसा करेंगे ।। ।।
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इक हाँ
तेरे होंठो से फिसला तो था ,
तुझे पाने को मैं
मुझमे से निकला तो था ।। ।।-
कहते हैं
बादल बारिश का पानी
समंदर से उठाते हैं , किंतु खारा ।
बारिश का पानी चखकर देखा मीठा था ।
पानी पारदर्शी है , उसने अपना खारापन बादलों को
सौंप दिया और मीठा बनकर बरसा ।।
कुछ हिस्सा वापस समंदर मे मिल गया और कुछ
हिस्सा भूमि के अंदर समा गया ।।
किन्तु अचरज की बात है , क्या मिट्टी मे पानी का
दम नहीं घुटता ?-
प्रेम , नदियों का पानी नही
घटता रहे बढता रहे ।
प्रेम , आकाश नही बादल से ढक जाऐ ।
प्रेम , ॠतु नही
सावन पतझड रहे ।
प्रेम , भूमि नही कही बंजर ऊपजाऊ मिले ।
प्रेम भूख नही , प्यास नही
तृष्णा नही , उल्लास नही
मिलना नही , काश नहीं
समीकरण नही , व्यास नही
प्रेम अंतत कुछ नही , पदार्थ नहीं ।। ।।
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