नहीं होती हर किसी से दोस्ती,
इसलिए लोगों ने घमंडी होने का इल्जाम लगाया।
फ़र्क नहीं पड़ता कौन साथ है कौन नहीं,
खुद में रहती हूँ मशरूफ़, यही पूरे शहर को बताया है।
सही गलत को लेकर करती हूँ बहस,
इसलिए हर बार मुझे बत्तमीज ठहराया है।
भीगती नहीं ये पलकें अब हर बात पर,
इसलिए कईयों ने मुझे पत्थर दिल बुलाया है।
मिज़ाज से हूँ बिदांस और बोली है बेबाक,
इसलिए अब मुझे बलि का बकरा बनाया है।
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