जब-जब दिल ने चाहा मेरे
चलना गलत राह पर,
तब-तब दिमाग ने
फिर पीछे खींच लिया,
मष्तिष्क में मेरे कोई और भी है
जिसकी सुन मैंने
तसल्ली से आँखियों को मींच लिया,
लोगों को कहते सुना है
दिल लैफ्ट में है फिर भी हमेशा राइट ही होता है,
पर मेरे दिल में तो तुम थे
जो किसी और के ख्यालों में गुम थे,
और दिमाग रहते हमेशा मेरे पापा
जो बड़ी से बड़ी मुसीबत में भी खोने न देते मुझको आपा,
अब दोस्तों तुम ही बताओ
दिल की सुने या दिमाग की,
ज्योति (एक चिंगारी)
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