🇮🇳"ऐसी भी कुर्बानी"🇮🇳
पहली रात सजी फूलों की सेज,अब कांटों सी लगने लगी
नई नवेली दुल्हन का सुंदर श्रृंगार की परत झड़ने लगी
लाल साड़ी लाल सिंदूर लाल बिंदी का रंग फीका सा लगने लगा
तुम बिन बेकार मेरा सजना,अधूरा सा व्यर्थ जीवन लगने लगा
तन्हा सांझ सवेरे, घुटती तिल तिल मन भर प्याले भरने लगा
मेरा कण कण, मनमीत मेरे, तेरे लिए दिल तड़पने लगा
बॉर्डर पर चलती गोलियां बारूद की आहट डराने लगी
सोच सोच कर ऐ सनम तुमसे पल पल मिलने को उकसाने लगी
माना तुम्हारा वतन की हिफाज़त करना,इसके लिए मर मिटना,गर्व की बात होती है
लेकिन बिना मीत के जीवन बिताना,किसी कुर्बानी से कम नहीं होती है
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