Akhand Pratap Singh 14 AUG 2020 AT 20:40 अगर तू तलवार होताकाट डालता शीश तू शत्रु कापर तुझको ना किंचित भी दुख होता।जख्म देता कितने भी गहरे और शत्रु जब दुख से रोता,तनिक भी ना तुझे बुरा लगता नाही तू कभी लज्जित होता।पर याद रख तू कोई तलवार नहीजख्म देकर खुश ही रहना,इतना भी आसान नही।माना तेरा जीवन है रणभूमिपर समय कि है अब पुकार यहीपुनःविचार कर तू फिर सेक्षमादान कर दे तू फिर सेहै मानवता कि एक मांग यही।है मानवता का एक सार यही।। - Akhand Pratap Singh 8 AUG 2020 AT 19:18 एक चिता थी सामने,जला जो वो मेरा आक्रोश था। क्षत्रियता निभा कर आज,फिर से मैं खामोश था।। - Akhand Pratap Singh 12 AUG 2020 AT 23:58 समझना मुश्किल है लेकिन बहुत आसान सी नीति हूँहाँ मैं राजनीति हूँ।चंद लोगो कि वजह से ,हर वक़्त जहर पीती हूँहाँ मैं राजनीति हूँ।जो समय के साथ बदलता रहे वही तो रीति हूँहाँ मैं राजनीति हूँ।सब के विचारों से सीख कर जीती हूँहाँ मैं राजनीति हूँ।आज सोच कर देखो तुम्हारी भी आपबीती हूँहाँ मैं राजनीति हूँ।। - Akhand Pratap Singh 7 AUG 2020 AT 15:18 पास उन्हें बुलाना क्यों।फिर उनसे एक दिन दूर होकर दूरी का ऐहसास दिलाना क्यों।वो दूर हैं तो क्या हुआउस दूरी से घबराना क्यों।उनकी यादों में उलझ करवर्तमान को झुठलाना क्यों।समय है बहुमूल्य जानकर भीइतिहास दुहराने में उसको गवाना क्यों।। - Akhand Pratap Singh 5 AUG 2020 AT 15:44 जो छोटी - छोटी बातें भी बताया करती थी तुझको,वो अब जिंदगी के अहम किस्सो को भी छुपाने लगी।हाँ सच मे जिंदगी मुस्कुराने लगी।। - Akhand Pratap Singh 2 AUG 2020 AT 23:27 एक इकरार था , एक इजहार हैवो इकबाल था, ये इल्जाम है।एक इतिहास था,एक इंकलाब हैवो इनाम था , ये इनकार है।।एक इतमीनान था , एक इम्तिहान हैवो इंसाफ था,ये इंतजार है। - Nilesh Borban 28 JAN 2019 AT 22:21 जब से मुझे तेरी चिठ्ठियाँ नहीं मिलींतब से बागों में तितलियाँ नहीं मिलींलाख नाम आया तेरा मेरी हर दुआ मेंमगर खुदा को मेरी अर्जियाँ नहीं मिलीं अंदर की उदासी चली भी जाती शायदपर हवा को खुली खिड़कियाँ नहीं मिलींरहे राह से मंज़िल तक धूप ही धूप मेंराहों में कहीं भी बदलियाँ नहीं मिलींइस बार इंतज़ार हर बार से ज़्यादा थालेकिन दिसंबर को सर्दियाँ नहीं मिलीं - Parul Pramanik 11 DEC 2020 AT 19:09 बस इतिहास बदला हैं रकीब,खुद को पहचान कर❤️ - Parul Pramanik 13 DEC 2020 AT 19:27 💔💔 - Barad Vrutika 14 SEP 2020 AT 15:24 अनहोनी कुछ होने को है... हाथो मै अब ये हालत नहीं है,खुशी तो बहोत है ,पर देखु मैपीछे कही 'गम' बारात तो नहीं..जीने के लिए जींदगी पास है,पर देखु मे पीछे कही 'मौत' ने दी आवाज तो नहीं .....हर वक्त गुजर जाता हैं ईस डर मैं....अनहोनी कुछ होने को है...... -