Ladta Raha AKRAM Maidan Mai Watan Ke Liye, Ek Shikast Ne Apnun Se Begana Kardiya, Karta Raha Qadar Apne Jaan Se Badhkar Mulk Ki Jo, Is Sharamsaar Muashraa(society) Ne Phir Bharat Ke Supoot Ko Ghaddar Qaraar diya..
क्या गुरुर करूं मैं इस ताज पर जिसे पाकर मैंने तुम्हें खो दिया क्या शान बताओ इस महल में हैं जिसने मुझे मेरे अपनों के दिल से निकालकर अपनी दीवारों की जंजीरों में पो दीया
तू खुद की आवाज़ बन, वक्त तेरा आवाज़ बनेगा, सही राह पर तू आगे बढ़, कर्म तेरा नमाज़ पढ़ेगा, हार-जीत या जीत-हार, भर नया जोश, प्रहार कर.. लक्ष्य तक पहुंच सका तो खुदा भी तेरा साज़ बनेगा।