तो कहा था महादेव ने,
विश्वास रखो मैं सब संभाल लूंगा , और
सब सुधार भी दूंगा।
बस इसी उम्मीद में
खुद को समझा लिया मैंने,
उलझनों को उलझा रहने दिया मैंने।
आज फिर कहते हैं महादेव,
देखा, मैंने कहा था ना।
और मैं उनसे कहती हूँ, हां कहा था आपने।
अब कुछ भी सुधरा है या नहीं,
पता नहीं, बस सुकून इस बात का है,
आपने हाथ थामा है,
हर मुसीबत में मुझे संभाला है।
बिन कहे भी गले लगाया है,
और मैने आपमें एक सच्चा दोस्त पाया है।
शुक्रिया आपको हर पल के लिए।।-
पर असाधारण बातें करती हूँ।।
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ख्वाब लिखती हूँ
जज़्बात लिखती हूँ
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लगता है किसी नदी का कोई हिस्सा मुझमें बस गया है
शायद इसीलिए समंदर मुझे अपनी ओर पुकारते हैं।।-
सब कुछ सुलझा हुआ सा है,
फिर क्यों मन उलझा हुआ सा है?
ये उलझनें एक वहम हैं या,
वास्तविकता की ओर एक इशारा?-
किनके हैं शिव?
जो प्रेम से पूजे उनके है शिव
जो उन्हे अपना माने उनके है शिव
जो ना माने उनके भी है शिव
अगर पहचान सको तो मुझमें है शिव
अगर महसूस कर सको तो तुझमें भी हैं शिव
इस ब्राह्मण का सार है शिव
श्रृष्टि का आधार है शिव-
तू राम नहीं,और मैं आम नहीं
हां..बहुत खास हूं मैं ।।
सीता सी शांत भी हूँ,
और सबरी सी नादान भी हूं,
पर शक्ति का तेज भी हूं मैं,
प्रेम भी हूं मैं,
वैराग्य भी हूं मैं,
और जीवन का श्रृंगार भी हूं मैं ।।
हर युग का आरंभ हूं मैं
और अंत भी हूं मैं
विध्वंस नहीं मैं...जीवन का निर्माण हूं मैं ।
प्रेम भी हूं मैं, वैराग्य भी हूं मैं ।।-
सुकून की तलाश में, मैं बनारस आ पहुंची ।
हाथ जो थामा महादेव का, मैं सब कुछ भुला बैठी।।-
Day by day a magic is happening.
Seems like the universe is sending blessing and saying It's time to heal.
Day by day a blessing is coming.
Seems like someone is praying and saying hope for the best my love.
Day by Day a prayer is being answered.
Seems like God is showering love and saying I am always with you.
Day by day I am falling in love.
Seems like I am implementing the lessons of self-love and saying just smile and go ahead.
Day by day I am becoming more thankful.
Seems like I understood the reason for everything happened and happening.-
They said consistency is key but I realised consistency with patience is the key.
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मोहब्बत भी तुझ से की थी
नफरत भी तुझ से की है
तुझे अपना माना था
इसलिये निभा भी शिद्धत से रहे हैं-
खुद को ढ़ूंढ़ने निकली थी ,
सवालों के जरिये ,
पाया नहीं खुदको अब तक ,
किताबों के नजरिये से ,
खामोश होती हूँ ,
तो सवाल कर लेती हूँ खुदसे ,
पर जवाब मिलते नहीं ,
दुआओं के भी जरिये।।-