ऐ हिन्दवतन मुझे तो तेरे ही साथ सारी जिंदगी बिताना है।
मुझे जातियों में बँटकर नहीं जीना मुझे तो बस हिंदुस्तानी कहलाना है।
तू डर ना उन मनुष्य के रूप में रह रहे दरिंदों से,
उसका भी एक दिन शामत ही आना है।
पोछ कर बेगुनाहों के आँसुओं को, गुनाहगारो को उसकी सजा सुनाना है।।
कुछ पथ भटकाने वाले पापियों को सच्ची बातें को याद दिलाकर उनकी हरकतों से रूबरू करवाना है।
बाहर से आए आतंकवादी मजहबों को देखकर नहीं, हम हिंदुस्तानियों को मार कर जायेंगे। ।
और यहाँ के कुछ लोग बस हिंदू, मुस्लिम, सिख ,ईसाई
ही करते रह जायेंगे।।
एक- दूसरे को नीचा दिखाने के होड़ में देश की एकता को भूल जायेंगे।।
दूसरे मुल्क के लोग अपनी फेकी पासे की बाजी को जीतते देख मन ही मन मुस्काएँगे। ।
सुन जातियों के मतभेद्धियों कब अपनी अक्ल लगाओगे?
जातियों के आधार पर , क्या इस देश को खोखला करते चले जाओगे?
सिर्फ एक हिंदुस्तानी कहलाने का पाक इरादा तुम कब अपनाओगे?
सुनलों हिन्दवासियों आपस में मिल जुलकर रहना ही, अनेकता में एकता ही इस देश की शान है।
और तभी हम सभी हिन्दवासी आपस में मिलकर प्यार से कहेगें हमारा भारत देश महान है ।।
ए हिन्दवतन जरूरत पड़ने पर मेरी जान भी तुझ पर कुर्बान है।।
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