Let's say,
we met how
the earth meets
a shooting star.
A bit of
you broke,
a whole of
me burnt.-
They purify themselves passing through you.
Their unwanted attributes now your residue.
You filter them but you're in vain,
Once you're used, replaced again...-
विवाहित स्त्रियॉं
बढ़ते बच्चे की भॉंति है
जो ज़िम्मेदारियों के बीच
भूल जाती है
अपनी पुरानी दुनिया
इतना सहल नहीं
वजूद खोना
[ पूरी रचना अनुशीर्षक में ]
~ रुचि-
मुझको अब ख़्वाब भी नहीं आते
किस क़दर मीठी नींद सोता हूॅं
~ लियाक़त जाफ़री-
" मज़दूर...... "
रोटी की जंग में ख़ुद को हार रहा हूँ,
मैं मज़दूर हूँ साहब,
क्या इसी की सज़ा अब काट रहा हूँ,
थोड़े से चावल दाल में परिवार पाल रहा हूँ,
घंटों धूप में ख़ून अपना,
सिर्फ़ जीने भर के लिए उबाल रहा हूँ,
दुनिया तो रुक गई सबकों ये बता रहा हूँ,
भूख के शहर हर रोज़ मगर,
मैं उम्मीद में मीलों चलता जा रहा हूँ,
मैं वाकई क्या किसी को नज़र आ रहा हूँ,
सब बोल तो रहे है हफ़्तों से,
जहाँ हो वहाँ ठहरो "मैं" आ रहा हूँ,
रोने की आदत है मुझें ये भी मान रहा हूँ,
पर राशन की लाइनों में भी,
वो कहते हैं रुको, "मैं" पहचान रहा हूँ,
मैं आपकी बातों से अपनी हालात जान रहा हूँ,
साँसे उखड़ने लगी अब मेरी भी,
आज तीसरा दिन हैं अब तो सिर्फ़ पानी माँग रहा हूँ,
रोटी की जंग में ख़ुद को हार रहा हूँ,
मैं मजदूर हूँ साहब,
क्या इसी की सज़ा अब काट रहा हूँ....!!-