तन को छूकर तन जागे है,
भूखा है तप्त अंधेरा,
सतरंगी दुनिया में खुद को,
रचता हैं भाग्य चितेरा।-
16 OCT 2020 AT 21:25
31 OCT 2019 AT 19:33
"आपकी नजर नही बल्कि आपका नजरिया
तय करता है कि आप सामने दिख रहे नज़ारे में
क्या देखना चाहते हैं और क्या देख पा रहे है."-
31 AUG 2019 AT 3:27
हाथ कोई दो बड़ा फसा हु दलदल मैं
प्यासा मैं भटकु बिन पानी मरुस्थल मैं
नहीं यहाँ बगीरा मैं शेरखान के जंगल मैं
बिना पैत्रो के कैसे जीतूंगा दंगल मैं-