बड़ी मेहरबानी है कि राहत से चल रहे है ये पल,
किस को पता आखिर क्या हो कल !-
दाना ड़ालके पाँच सुखो का, तन ने जाल हैं बिखेरा।
तन छूकर तन... read more
ये इश्क़ की देहरी है
नहीं कोई स्याही गहरी है,
डूबता हूँ मैं इश्क़ में तेरे
जब तू सूखी जर्जर ठहरी है,
नहीं कोई सवाल है
बस ये नगरी तेरी है,
सुख, खुश रखना,
चल जिम्मेदारी मेरी है,
अब तू ये जान ले
बस अब तू मेरी है।
-Ashatogare
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अगर दे सकते हम सबूत हमारी मोहब्बत का
तो जरुर तुमको दिखा देते।
उस पल उस कल हम तुमको सबकुछ बता देते,
बस मेरी बातों में मेरी यादों में तू शामिल है मेरे
ऐसे कैसे हम तुमको जाने देते।-
हम तुमको यू चाहते है ,
जैसे मन-दर्पन दीवाने का।
नहीं चलता तेरे सामने कोई
बहाना परवाने का।
सब कुछ छोड़ आया ये
अदीब तेरे ठिकाने का।
अब बता किस ओर चले ये साँसों का दौर,
नहीं तकाज़े का
राग-रंग सब कुछ हार जाओगे,
जब आएगा वक़्त जनाजे का।
जब तक रुप झलके,
तब तक ही सुर बाज़े का।
आशना नहीं मरती तुम्हारी सूरत पर
उसको तो सुख तुम्हारी रुहानियत का।
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तेरा नाम मेरे साथ एक दिन जरुर होगा,
इन लबों की हंसी का राज़ भी तू होगा।
बस समय अब कम ही रहता है,
जब हमेशा के लिए तू मेरे पास होगा,
इन नयनों में शामिल तब हर जहां होगा,
जब मेरे हर राज़ में शामिल मेरा हमराज़ होगा।
अब इससे ज़्यादा और क्या हसीन नज़ारा होगा।
वो पल भी बहुत खास होगा,
जब तेरा मेरा सात जन्मों का साथ होगा।
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मैं खुश हूँ यह कहकर बताती हूँ,
तुमसे ही और तुम पर ही हजारों
बार जान लुटाती हूँ।
इस जिस्मों के संसार को देख कभी-कभी
हाँ हार जाती हूँ।
पर तुम्हारे पास आते ही न जाने क्यों
सबकुछ भूल जाती हूँ।
रोज़ के रिश्तों को टूटता देख परेशान हो जाती हूँ,
लेकिन हाँ प्यार है तुमसे रुह तक का ये हर
बार हक से कह जाती हूँ ।
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उसके बिना मेरा हर पल अधूरा सा है ,
न जाने क्यों पर उसके होने से ही
सबकुछ पूरा सा है।
मुझे अब परवाह नहीं किसी और की,
क्योंकि वो ही प्रवरदिग़ार सा है।
जिसके लिए में "मैं" हूँ ,
वही अब मेरी प्यास सा है ।
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कि समझाते रह गये ग़ालिब हमें ये इश्क़ विश्क मत करना,के उसके इश्क़ से ही हम इश्क़ कर गये।
अब क्या रहा बाकी इस दुनिया में
वो एक ही है हमारे जैसा जिस पर अब हम मर गये।-
मैं चाहू तो उसे अल्फाज़ों में बयान कर दू
उसके लिए तो मैं खुद को भी फना कर दू।
तारीख़ आने से पहले ही हर दिन उसके नाम कर दू
वो जो पुछे अहमियत मेरे प्यार की तो जान-ए-सुकून
ज़ाहिर कर दू।
कि इतनी भी आसान नहीं होती हज़रते-ए-इश्क़ की,
बगावते वो जो कह दे एक बार तो जान हथेली पर रख दू।
-Ashatogare
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