अमीरी और गरीबी में बस इतना फर्क है जनाब
किसी के लिए मौसम सुहावना है और किसी के लिए खराब-
फ्रिज से एक बिलकुल चील्ड बोतल निकलकर अपने सर पर डाल ली , क्योकि उसे ऐसा लगता था शायद कुछ देर के लिए ही सही पर उसका सर जम जायेगा और वो थोड़ी देर के लिए उसे भूल जायेगा पर ये उसका ही बनाया हुआ झूठ था जो उसे छोड़कर किसी के भी नजरिये से सच नहीं था||
safer-e-kitab-
क्यू तुम भूल जाओगी मुझको
क्यू तुम याद आओगी मुझको
आखिर क्यों खलती है तुम्हारी कमी
नैनो में क्यू रहती है ये नमी
मेरा क्या खो गया
मुझको भी ना पता
प्यार में तेरे में हूं लापता ,
हां में हूं लापता…..-
सूरज चला गया घर को
तब साकी लेने आया हाला l
उसी क़तर में खड़ा था बाबु,
उसी में खड़ा रिक्शे वाला l
धन दोलत का जोर ना चलता
ना चलती है गुन्डा -गर्दी
तो क्यों ना सारा का सारा जग
ही बन जाये फिर मधुशाला ......|6|-
राम नाम जपते हो या फिर
मन अन्दर से है काला
पीकर बाहर सब आ जाता है
जो भी हो दिल में पाला
डरता हु ना खो बैठु तुमको
दिल के सारे राज बताकर
एक रोज दिल पर पत्थर रख
में भी आ जाऊंगा मधुशाला। |5|-
सुना है कुछ प्यालो से ही
खुल जाता है दिल का ताला
फिर अपने सारे काले करतब
जुबान पर रखता पीने वाला
कभी होटो से हँसी है गिरती
कभी आँखों से गिरते आँशु
तुमको भी खुलना हो ऐसे
तो आ जाना तुम मधुशाला|4|-
रिश्ते नाते सब हैं झूठे
झूठा हैं जीवन देने वाला
क्यों हाड़ मॉस में भेदभाव
जब सबको उसने ही पाला
एक मदिरा ही ऐसी हैं
जो भेद भाव से दूर हैं
सबको एक तराजू में
तोले रही हैं मधुशाला |3|-
सुनो ना......
गलिब नहीं सिकंदर बनना हैं मुझे
एक रोज तेरा मुकद्दर बनना हैं मुझे
अश्को पर कागज की कश्ती तेराने वाले
तेरे लिए जरुर समन्दर बनना हैं मुझे
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बिन पिए ही कदम डगमगाते
ये केसा तूने मन में डर पाला
हाथ थाम ले मेरा कसकर और
जपता चल नीलकंठ की माला
भूला देगा तू खुद ही दुनिया
बस प्याले से अपने होट लगाकर
चोखट पर माथा टेक ले भईया
स्वागत हैं करती हैं तेरा मधुशाला |2|-
हम मिलने वाले थे, बीच में रात आ गई
जैसे अम्बर ओर धरा के बीच कायनात आ गई
ओर तुम भूल गये क्या इजहार ऐ इश्क
लगता है बीच मे मेरी औकात आ गई-