ज़हन में मिजाज़-ए-मोहब्बत
बरकरार रखिये जनाब...
जज़्बात,बातों और मुलाकातों का
अहसास तो जुदाईयों में भी है...!
-Khushi Pandey
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वक्त के ख्याल से...
अंजान हूँ थोड़ा
पर ये बेपरवाही
मैंने खुद से नही सीखी,
भूलकर वक्त कभी
रातों में जागना तो
तुम्हे भी आता था...!
-Khushi Pandey
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है डूब के देखा कान्हा में...
दुनिया से परेय एक जिक्र भी है,
कहाँ मिलती अब राहत फूलों में
जब कान्हा से मोहब्बत इत्र सी है...!-
किताबों के पन्ने सहेज कर, कुछ आसान काम किया।
बढ़ गया था बोझ बहुत,उसे किताबों मे बाँट दिया ।-
जी सही फरमाया है आपने !
जैसे ही मैं अपने काम से फारिक होती हूं ।।
दौड़ती हुऐ मुंडेर पर चली आती हूं ।।
मुझे लगता है कि कहीं आपका
किमती समय जाया ना हो !
जो एक झलक पाने के लिए आप आएं और
मैं ना मिलूं ।।
इसलिए यूं ही आपके लिए ,
मुंडेर पर हर वक्त खड़ी रहती हूं।।-
आओ !
चलो हम भाग चले
नदिया के उस पार चले ।।
मोहब्बत के शहर में ,,
हम अपना आशियाना बनाते चले ।।-
ನಾನು ಯಾಕೆ ಬದಲಾಗಬೇಕು
ನಾನ್ ಇರೋದೇ ಹೀಗೆ
ನನಗೆ ಇಷ್ಟ ಆಗೋ ಹಾಗೆ
ನನ್ನ ನಿಜವಾಗ್ಲೂ ಇಷ್ಟಪಡೋರು
ನಾನ್ ಹೇಗಿದ್ದರೂ ಇಷ್ಟಪಡುತ್ತಾರೆ....-