पतझड़ में साथ निभाए
वो ही तो सच्चा होता है ..
सावन में तो
हर एक पत्ता हरा-भरा होता है___!-
वो नासमझ चाँद भी अपने चारों ओर उन लाखों हज़ारों तारों में ख़ुदको ढूँढ़ता हैं ।
मगर मंद बुद्धि खुदकी चमक से ही न जाने क्यों इतना जुदा हैं ।।-
मैं एक पत्ता हूं, पीला सूखा पत्ता! तेज़ धूप में झुलस गया और आज हवा चली तो मैं अपने ही पेड़ से झड़ गया। ये तो प्रकृति का नियम है कि पुराने सूखे पत्ते जाएंगे ,तभी तो नए पत्तो का आगमन होगा। मुझे अफसोस है कि अब मैं अपने ही पेड़ पर नहीं हूं। मैं अब हरियाली नहीं देख पाऊंगा,मेरी ऊपर वाली डाल पर बैठे पंछी अब मुझे याद नहीं करेंगे, मैं सावन में भीग नहीं पाऊंगा,मदमस्त हवा में अब कभी लेहरा नहीं सकता। ठंडी छाव देने के लिए भी अब नए पत्ते आ जाएंगे।मेरा खुद का पेड़ मुझे भूल चुका है।मेरा अस्तित्व सिर्फ इतना है कि मैं अब इस ज़मीन पर बिखरा हूं और क्षण भर में हवा मुझे उड़ा कर ,
मेरे ही पेड़ से दूर ले जाएगी।
खैर!! मेरी तो मजबूरी है, मैं सूखा पत्ता हूं। रिश्ते भी ऐसे ही होते है क्या? सुना है, परेशानियों में टूट जाते है और उनकी जगह.....आप समझ रहे है ना??
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मेरा यह दिल और यह प्यार तुझको एक दिन तेरे अपने हाथों खोना ही पड़ेगा
मेरा इश्क़ एक सूखे पत्ते की तरह है ना चाहते हुए भी अलग तो होना ही पड़ेगा-
Ek sukha patta hi de dete chahe
Gulab ki jagah
Hum uspe bhi laal syahi se likh lete naam tumhara-
आज भी वो सूखा हुआ पत्ता
किसी किताब के बीच संभाल कर रखा है
जिसमें उसने अपने प्रेम की स्याही में डुबो कर
कुछ अल्फ़ाज़ लिखे थे ।-
Sukhe patton🍂🍂🍂 ki trh bikhrey the hum,
Kisi ne sameta v to sirf jalane 🔥 k liye-
शाख़ का वो सूखा पत्ता......
बिखरा रहा टूट टूट कर!!!
समेटा भी गर किसी ने.....
जलाया उसे आग मे फूँक फूँक कर!!!-
दील जैसे सूखा पत्ता था
तुम ओस की बूँद बनकर भीगा गए
कौन जानता था की प्यार क्या है...
मोहोब्बत के चेहरे को
तेरा रूप समझकर
हम तो यूँही तेरे वजूद में समा गए!!-