पहन कर साड़ी बनारसी,
वो सुर्ख लाल !
तेरी नजरों से भी निहार लूँ,
आईने में खुद को यार !!
तेरे बिना व्यर्थ है ये सारे,
साजो श्रृंगार !
ये जूड़ा ये गजरा ये बेंदी,
सब बेमोल है यार !!
बस तुझको ही खोजती है,
मेरी ये आँखे कजरारी !
तुम बिन तड़पे पिया ये प्रेमिका,
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी !!-
अच्छा
🤱औरतों का 17वां श्रृंगार दूसरों की चुगली करना होता है...🤭
अगर वो ना करें तो श्रंगार अधूरा रह जाएगा...🤨
🤫-
कंगन पायल,
झुमके हार,
यूँ तो सारे ही,
ज़ेवरात है,
पर तेरे नाम का,
वो सुर्ख़ लाल,
सिंदूर,
उसके बिना,
ये सारा श्रृंगार,
अधूरा यार है!!-
आसमान की दुकान से जेहे- नसीब ,सब चीजें मंगवाई हैं।
चांद गलाया हैं ,तब पायल बनवाई है।
तुम सोच रही हो ,हार में कितने रंगो को जोड़ा हैं।
बस जान लो इतना ,हाथ बढ़ाकर इन्द्रधनुष को तोड़ा हैं।-
तेरे नाम की मेहंदी,
तेरे नाम की चुनरी,
तेरे नाम की चूड़ियां है,
बस एक तू मेरे नाम नहीं,
बाक़ी पूरा श्रृंगार मेरा,
तेरे नाम का है!!-
तुम ही तो थे मेरे दर्पण मेरे
तुम ही मुझे सजाते थे
तुम बिन शृंगार अधूरा है
मेरा संसार अधूरा है
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ओढ़ते हुए देखना
तुम्हारी खुशबू
तुम्हारे छूने पर देखना
मेरे लाल होते गाल
मेरे अधरों पर रख अधर
मुझे सिमटते देखना
तुम ठहरना और देखना
मुझे श्रृंगार करते हुए-
हमारा भी मन करता है श्रृंगार करने का
पर कमबख्त पहले ही कोई झकझोर देता है
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