@नज़र-ए-दिल्ली@
सुना था यहाँ हाँथ नहीं दिल मिलते हैं,
बड़ी दिलदार है दिल्ली.!
अजी यहाँ हर कुछ है, बस दिल ही नहीं,
बड़ी बेकार है दिल्ली..!
है तंग-गलियाँ और चौड़ी सड़क भी..
मगर गुलज़ार है दिल्ली..!
एक हुजूम जो बस चले जा रहा है,
फ़क़त भीड़-भाड़ है दिल्ली.!
वो अदब और अदीबों की बस्ती है गुम कहीं,
आज शर्मसार है दिल्ली..!
थी जो "ग़ालिब" की दिल्ली, जो "दाग़" की दिल्ली..
आज दाग़दार है दिल्ली.!
वो क़ीले , इमारतें, अदब के घराने आज खंडर हैं..
बहुत बीमार है दिल्ली.!
वो सूफी दौर, वो शाही दीवार सब कुचल दिए गए..
गुमसुम ज़ार-ओ-ज़ार है दिल्ली.!
हिन्द की हुकूमत , हिन्द का तख़्त, है हिन्द की तू आबरू..
सियासत की दस्तार है दिल्ली..!
जो तस्सव्वुर बचपन से थे इन् आँखों के रूबरू..
फ़क़त इक नक़्शे-नागवार है दिल्ली..!
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